वैसे तो यह बात खुद में अटपटी लगती है कि आप को मई-जून की झुलसती गरमी में रेगिस्तानी राजस्थान की गुलाबी राजधानी जयपुर में घूमने-फिरने के मकसद से जाने की सलाह दी जाए लेकिन अगर कभी ऐसा होता है और आप आमेर किले के आसपास हैं तो वहां के छोटे-बड़े रेस्टोरेंटों में यह जरूर पूछ लें कि रात का खाना मिल जाएगा या नहीं.

यह बात बचकानी जरूर लगती है, पर ऐसा ही कुछ हमारे साथ हुआ. दरअसल, हाल ही में मेरा अपने बचपन के कुछ दोस्तों के साथ जयपुर जाना हुआ. हमारा रिसोर्ट आमेर किले से महज 2 किलोमीटर दूर था. शाम को जयपुर की मशहूर झील जलमहल देखने के बाद वहीं उस के सामने बने किसी रेस्टोरेंट में हमारा खाना खाने का प्लान था.

ऐसे ही जानकारी के लिए एक रेस्टोरेंट में घुसे तो पता चला कि गरमी में वहां शाम के 5-6 बजे तक ही खाना परोसा जाता है. जब इस की वजह जाननी चाही तो पता चला कि टूरिस्ट न के बराबर होने की वजह से वे लोग डिनर नहीं बनाते हैं. हम सब थोड़ा चकराए पर अगले रेस्टोरेंट में भी यही जवाब मिला. वहां के मैनेजर ने बताया कि झील पर भी आसपास के लोकल लोग ही ज्यादा आते हैं जो वहीं झील पर हल्के-फुल्के स्नैक्स खा कर घर चले जाते हैं.

रात का खाना न मिलने की बात सुन कर थोड़ा अचंभा लगा, फिर सोचा कि अपने रिसोर्ट के पास किसी सस्ते रेस्टोरेंट को खंगालते हैं. हालांकि हमारे रिसोर्ट में डिनर का पूरा इंतजाम था, पर जब यह मामला सामने आया तो यह जानने की जिज्ञासा बढ़ गई कि ऐसा होता क्यों है?

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