अनेक इतिहासकार और जम्मू के लोग भी मानते हैं कि इस शहर की स्थापना 14वीं सदी में राजा जंबूलोचन ने की थी. कश्मीर का प्रवेशद्वार माना जाने वाला जम्मू शहर तवी नदी के तट पर बसा है. समुद्रतल से 305 मीटर की ऊंचाई पर बसे इस शहर का क्षेत्रफल 20.36 वर्ग किलोमीटर है. 18वीं शताब्दी के मध्य से यहां डोगरा राजाओं का राज रहा है. इसलिए यहां डोगरा संस्कृति की छाप साफ दिखाई देती है. जम्मूकश्मीर राज्य के व्यापार का प्रमुख केंद्र जम्मू को ही माना जाता है. यहां पर बने अनेक मंदिरों के कारण इसे ‘मंदिरों का शहर’ भी कहा जाता है. यहां घूमने का सब से अच्छा समय अप्रैल से अक्तूबर तक है जब पूरी घाटी हरियाली से सराबोर होती है. अक्तूबर के बाद यहां का मौसम सर्द होने लगता है. जम्मूकश्मीर में होने वाली आतंकवादी घटनाओं और धार्मिक व्यापार ने इस क्षेत्र की हालत खराब कर रखी है.

दर्शनीय स्थल

बाहु किला :  यह किला जम्मू बस अड्डे से 5 किलोमीटर की दूरी पर तवी नदी के बाईं तरफ एक पहाड़ी पर बना है. इसे शहर का सब से पुराना किला माना जाता है. इस किले का निर्माण राजा बाहुलोचन (राजा जंबूलोचन का भाई) ने 3 हजार साल पहले करवाया था.

मानसर झील : जम्मू से लगभग 45 किलोमीटर दूर स्थित है मानसर झील. यह खूबसूरत झील आसपास स्थित जंगलों से घिरी हुई है. यह पर्यटन की दृष्टि से एक आदर्श स्थान है. झील में नौकायन करते हुए इस के किनारे पर बने पुराने महल के खंडहर दिखते हैं.

सुरिनसर झील : यह झील जम्मू से 42 किलोमीटर दूर है. इस झील की लंबाईचौड़ाई मानसर झील से कम है लेकिन इस की खूबसूरती पर्यटकों का मन मोह लेती है.

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