आने वाले दिनों में जीमेल, वॉट्सऐप, स्नैपचैट और यहां तक कि ऐमजॉन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को यूजर्स की इन्फर्मेशन जमा करने रखनी पड़ सकती है. इस बारे में सरकार टेक्नॉलजी इंटरमीडियरीज के लिए नया नियम बनाने की तैयारी में है. हालांकि, इसका जोरदार विरोध हो सकता है.
सरकार अब इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी ऐक्ट के सेक्शन 6C के लिए नियमों का ड्राफ्ट बनाने की तैयारी में है. इस मकसद के लिए एक कमिटी बनाई गई है. हाल में बनी कमिटी के तीन सदस्यों के मुताबिक, नियमों में बताया जाएगा कि किस तरह का डेटा किस फॉरर्मैट में कितने समय के लिए रखा जाना है. नियम इसलिए तैयार किए जा रहे हैं, ताकि लॉ-एन्फोर्समेंट एजेंसियां जरूरत पड़ने पर सूचनाएं हासिल कर सकें.
सूचनाओं का साझा करने के मुद्दे पर विदेशी कंपनियों और भारत सरकार के बीच विवाद रहा है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि वॉट्सऐप जैसी कंपनियों के लिए यह नियम लागू करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वह एंड-टु-एंड एनक्रिप्शन का दावा करती है. स्नैपचैट को भी मुश्किल होगी. इसमें मेसेज कुछ सेकंड के भीतर ही गायब हो जाते हैं और ये कंपनी के सर्वर्स पर भी स्टोर नहीं होते.
डेटा स्टोरेज की कॉस्ट काफी ज्यादा होने और भारतीय नियमों से संचालित नहीं होने के कारण कंपनियां भी इसका विरोध कर सकती हैं. इस सिलसिले में बनाई गई कमिटी की अगुवाई इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी मिनिस्ट्री के अडिशनल सेक्रेटरी अजय कुमार कर रहे हैं. इसमें होम मिनिस्ट्री, टेलीकॉम डिपार्टमेंट, पर्सनल ऐंड ट्रेनिंग डिपार्टमेंट, नैस्कॉम, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएसपीएआई) से भी एक-एक मेंबर हैं. साथ ही, साइबर लॉ के एक्सपर्ट वकील और इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड आईटी मिनिस्ट्री के कुछ अफसरों को इसमें रखा गया है.
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