Motivational Story : ससुराल वालों के सामने अचला हमेशा झुकती ही आई थी. चुप, अपने में ही घुटती रही लेकिन आज उस के आत्मसम्मान और आत्मबल के लिए जो लोग सामने खड़े थे उन्हें देख वह हैरान थी.
अचला ने फ्लैट लौक किया और चाबी देने के लिए सीढि़यों से ऊपर चढ़ गई. पति राजीव से काफी बहस के बाद आपसी सहमति से यह तय हुआ कि फ्लैट वापस किराए पर चढ़ा दिया जाएगा. ऊपर रहने वाले परिवार को चाबी इसीलिए दे रही थी ताकि पीछे से कोई किराएदार आए तो उसे फ्लैट दिखाया जा सके.
मन बहुत भारी हो रहा था. केवल भारी ही नहीं, बल्कि चीत्कार कर रहा था. बचपन से अपने हक के लिए लड़तेलड़ते उस ने पहली बार खुद को हारने के लिए राजी कर लिया था. 50 साल की उम्र की होने के बाद और सभी पारिवारिक जिम्मेदारियों को यथासंभव निभाने के बाद भी वह पति का इतना विश्वास नहीं जीत पाई थी कि अपने ही फ्लैट में अपनी मरजी से कुछ दिन बिता सके.
चाबी ऊपर दे कर सीढि़यों से नीचे उतरते हुए एकएक कर उस के अरमान नीचे गिर रहे थे. आज उन्हें रोकने की कोई कोशिश भी उस की तरफ से नहीं हो रही थी. आंसुओं के सैलाब को जैसेतैसे रोक लिया था. उस ने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि जिस इंसान के लिए अपने वजूद को भी भुला देगी वह बच्चों के संभल जाने पर अपने परिवार में जा कर मिल जाएगा और उसे ही गलत ठहराएगा.
नीचे उतर कर उस ने दोनों बैग उठाए और सामने सड़क पर आ गई. ईरिक्शा वाला थोड़ी दूरी पर था. उसे अपने पास बुलाने के लिए हाथ से इशारा किया और मोबाइल चैक करने लगी. किसी फोन या मैसेज के इंतजार में सबकुछ चैक कर लिया. हर दिन की तरह आज भी कुछ नहीं था. पति का, बेटियों का या ससुराल वालों का कोई फोन या मैसेज नहीं था.
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