Hindi Story : इंसान अपने कर्मों की वजह से ऊंचा बनता है. मयंक को आज लग रहा था कि पढ़ालिखा और साहबबाबू होने के बावजूद अपने कर्मों और नीयत की वजह से वह अनपढ़जाहिल रिकशेवाले के सामने बौना है.
मयंक की नजर जैसे ही हौल में प्रविष्ट होते लालजी प्रसाद पर पड़ी तो उस की बांछें खिल गईं. तकरीबन 60 वर्षीय लालजी प्रसाद अपना प्रौविडैंट फंड निकलवाने के लिए पिछले 6 महीनों में पंद्रह से बीस चक्कर प्रौविडैंट फंड औफिस के लगा चुके थे. मयंक था कि हर बार कोई न कोई अड़ंगा लगा ही देता था और साथ ही, यह इशारा भी कर देता था कि अगर सेवापानी नहीं करोगे तो इसी तरह चक्कर ही लगाते रह जाओगे, फंड नहीं मिलेगा. लेकिन शायद या तो लालजी प्रसाद इतने सीधे थे कि मयंक का इशारा नहीं पकड़ पाते थे या फिर जानबूझ कर अनजान बने हुए थे. कारण कुछ भी हो, बात वहीं की वहीं रहती थी और मयंक झुंझला कर रह जाता था.
लालजी प्रसाद के इस रवैए से परेशान हो कर, उन की लास्ट विजिट पर मयंक ने उन से साफसाफ ही कह दिया कि, ‘अंकलजी, आप बात को समझ क्यों नहीं रहे हैं, बारबार चक्कर पर चक्कर लगाने से आप का काम नहीं होने वाला क्योंकि इस औफिस का तो सीधा सा सिद्धांत है कि फंड का 10 प्रतिशत दो और फंड लो. मैं पिछले 5-6 महीने से यही बात आप को बारबार इशारों में समझने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन आप हैं कि समझने का नाम ही नहीं ले रहे. सो, मुझे लगा कि आप को खुल कर बता देना ही उचित होगा, बाकी आगे आप की मरजी.’
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