यदि आपको आंखों में लाली, खुजलाहट, आंखों से पानी आना, थकान और बार बार सिरदर्द जैसी समस्याएं सताती है, तो सावधान हो जाएं क्योंकि ऐसा कंप्यूटर, स्मार्टफोन, टैबलेट, ईरीडर जैसी डिजिटल डिवाइसेज पर लगातार नजर गड़ाए रखने के कारण हो सकता है.
लोग आंखों की थकान जैसे लक्षण बढ़ने की शिकायत कर रहे हैं. डिवाइसेज पर कई बार हम एकटक नजर गड़ाए रहते हैं और इस के कारण हमारी आंखों पर बहुत ज्यादा जोर पड़ता है. लोग अपने लैपटॉप पर काम करते हुए टेलीविजन भी साथ साथ देखते रहते हैं और साथ ही बीच बीच में सोशल मीडिया अपडेट के लिए अपने स्मार्टफोन में भी झांकते रहते हैं.
डिजिटल डिवाइसेज के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए बाजार में आप की आंखों की सुरक्षा के लिए कई उत्पाद पेश किए हैं, जिन में डिजिटल ओवरलोड का असर कम करने वाले उत्पाद भी शामिल हैं, लेकिन आंखों की बढ़ती थकान से बचने के लिए कुछ बेसिक उपायों का भी पालन करना जरूरी है. प्रस्तुत हैं, कुछ खास टिप्स:
बीच बीच में उठ कर ब्रेक लेते रहें
आजकल सारा काम कंप्यूटर पर ही निर्भर हो गया है इसलिए लोग औफिस और घर में भी घंटों कंप्यूटर से चिपके रहते हैं. ऐसे में आंखों को आराम देने के लिए बीचबीच में बे्रक लिया जा सकता है. दिन के वक्त मीटिंग और विचारविमर्श के सत्रों में हिस्सा लें, साथ ही लंच के दौरान अपनी स्क्रीन से दूर रहें. हर एक घंटे बाद कुछ देर के लिए अपने डैस्क से हटना तथा अपने कंप्यूटर से दूरी बनाए रखना भी जरूरी है.
स्क्रीन की रोशनी कम करें
मौनिटर की अधिक रोशनी आप की आंखों पर दबाव बढ़ा सकती है. खिड़कियों में परदे लगाने, अपने कमरे में तेज रोशनी वाले स्रोत से बचने तथा मौनिटर स्क्रीन पर ग्लेयर फिल्टर लगा कर आप इस की चमक कम कर सकते हैं. स्क्रीन पर जितनी कम चमक रहेगी, उतना ही आप की आंखों पर तनाव भी कम पड़ेगा.
सोशल मीडिया की लत कम करें
हमारे डिजिटल डिवाइसेज से कई जरूरी काम निबट जाते हैं, लेकिन वहीं इन में समय का एक बड़ा हिस्सा हम फेसबुक, ट्विटर तथा व्हाट्सऐप जैसे सोशल मीडिया नैटवर्क पर भी खर्च करते हैं. युवाओं को तो हर समय अपने स्मार्टफोन से चिपके देखा जा सकता है. यदि आप इस तरह की लत को कमकर लें तो प्रतिदिन बेवजह डिजिटल डिवाइस से चिपके रहने का एक घंटा बचा सकते हैं.
सुरक्षात्मक चश्मे का इस्तेमाल करें
जरूरत के अनुकूल चश्मे का लैंस इस्तेमाल करें जो आप की आंखों को डिजिटल ओवरलोड, नुकसानदेह नीली रोशनी, तनाव और थकान से सुरक्षा प्रदान करेगा. ऐसी जरूरतों के लिए इनोवेटिव लैंस तैयार किए गए हैं. इन लैंसों के इस्तेमाल से आंखों को बचाया जा सकता है. ऐसे लैंस हमारी आंखों को नुकसानदेह नीली रोशनी तथा यूवी किरणों से बचाते हैं.
स्मार्टफोन बिस्तर पर न ले जाएं
यह भी एक ऐसी आदत है जो न सिर्फ आंखों पर डिजिटल तनाव बढ़ाती है बल्कि हमारी नींद में भी खलल डालती है. अत: बिस्तर पर जाने से आधा घंटा पहले ही अपने फोन को दूर रख दें.