लेकिन सच्चे प्रेमी भला खतरों से कभी डरते हैं. वे कहीं न कहीं मिल कर आपस में अपने दिल का दर्द बांट लेते.
वह 11वीं में आ गई थी. उस ने कोचिंग में पढऩे की इच्छा जाहिर की थी. अम्मांपापा की काफी लंबी बहसबाजी के बाद एक ऐसी कोचिंग में उस का ऐडमिशन करवा दिया गया, जहां फीस नहीं लगती थी, साथ ही उस के ऊपर पूरी निगरानी भी रखी जा सकती थी.
अब वह देखता था कि मंजरी सुबह होते ही कभी घर का सामान लेने जाती, कभी दूध तो कभी चाय तो कभी सब्जी... यह सिलसिला रात तक चलता रहता. और वह जैसे ही घर में घुसती माधुरी की चीखचिल्लाहटें सुनाई पडऩे लगती थीं.
एक दिन वह रोहन के सामने फफक पड़ी थी, ‘‘रोहन, अम्मां मुझ से कहती हैं कि तुम पैैसे चुरा लेती हो. बताओ क्या मैं चोर लगती हूं? उस का मासूम सा चेहरा देख रोहन की आंखें भी भीग उठी थीं.
एक किस्सा समाप्त नहीं होता, दूसरा शुरू हो जाता. एक शाम उन के घर से गाली, मारपीट की आवाजें सुनाई पड़ रही थीं. उन लोगों का शोर कोई सुन न ले, इसलिए तेज आवाज में टीवी चला दिया जाता था. 3-4 दिन बाद मंजरी मिली तो उस ने बताया कि पापा बोले, "कल उन्होंने रात में ₹10,000 गिन कर जेब में रखे थे. सुबह जेब में नहीं थे. अम्मां ने साफसाफ कह दिया कि वह कुछ नहीं जानती."
घर में उन तीनों के सिवा दूसरा तो कोई था नहीं इसलिए पक्का था कि मंजरी ने ही चुराए हैं. उस ने बताया कि मेरी जम कर पिटाई हुई, पापा ने बेल्ट से पूरी पीठ उधेड़ कर रख दी, तो अम्मां ने लातघूंसे और थप्पड़ से पूरी कुटाई कर डाली. उस के बैग अलमारी, बिस्तर सबकुछ खंगाल डाला गया.