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सीलन से भरी हुई कोठरी में, जगहजगह से प्लास्टर उखड़ा हुआ, जहां बरसों से सफेदी नहीं हुई थी.
जमीन पर गंदा फटा हुआ चादर बिछा कर सोना पड़ता था. कुछ महिलाओं ने उसे देखते ही अश्लील इशारे करने शुरू कर दिए थे. खाने में चावल के साथ कीड़े और दाल कम पानी ज्यादा... लेकिन आखिर पेट का सवाल था. कब तक भूखी रहती. अपने हाथों से कीड़े हटा कर चावल खा लेती. फिर तो वह दालचावल खुद से साफ करवाने की कोशिश करती थी. कभीकभी सब्जी के नाम पर कुछ मिल जाता तो कभी अचार भी मिल जाता.

लेकिन सुजाता ने अपनी नाजुक सी बहू को अकेला नहीं छोड़ा था. वे बस की लंबी यात्रा कर के उस से मिलने हर हफ्ते आ जातीं. वे अपने साथ खाना, नाश्ता ले कर आतीं, उसे प्यार से अपने हाथों से खिलातीं. उस के लिए धुले हुए कपड़े और दूसरी जरूरत की चीजें भी ले कर आतीं.

उन का प्यारदुलार मंजरी के लिए औक्सीजन का काम करता. उस को यहां से जल्दी छूटने का आश्वासन देतीं. उन से मिलने के बाद उस के मन में फिर से जीने का उत्साह जाग उठता था. वह जो कुछ भी सामान खाने का दे कर जातीं, सब के बीच बांट देती. जो खाने के लिए रोटी मिला करती उन्हीं को बचा कर रख लेती और सुबह पानी में भिगो कर खा लेती, यही उस का नाश्ता होता.

नारी निकेतन का उद्देश्य महिलाओं को व्यवसायिक प्रशिक्षण दे कर उन के पुनर्वास की व्यवस्था करना होता है. सिलाई, कढ़ाई और दूसरे गृहउद्योग का प्रशिक्षण देने की व्यवस्था कागजों में होती है. नियमकायदे केवल बनाए जाते हैं, लेकिन उन का अनुपालन कितना होता है, इस बात से कोई अनजान नहीं है.

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