मन ही मन वह उन 4 दरिंदों से बदला लेने की भी सोच रही थी. आखिर उन दरिंदों की वजह से ही तो उस की जिंदगी बरबाद हुई थी. अभी भी वह लाल दुपट्टा सुंदरी के पास था जिस को उन दरिंदों ने उस के मुंह में ठूंस कर उस गंदी घटना को अंजाम दिया था. उस निशानी को वह कैसे भूल सकती थी?
ईंटभट्ठे का ठेकेदार रामपाल था जो शराबी और औरतबाज भी था. ईंट भट्ठे पर काम करने वाली कई औरतों के साथ उस के अवैध संबंध थे. सुरक्षा के लिए उस के पास रिवाल्वर और बंदूक भी थी. जब से सुंदरी भट्ठे पर आई थी, रामपाल की नजर उस पर थी. वह उस की जवान देह को अपनी हवस का निशाना बनाना चाहता था. सुंदरी भी मन ही मन उन चारों दरिंदों से बदला लेने की कोई योजना बना रही थी. उस ने बहुत सोचसमझ कर रामपाल का निशाना बनना स्वीकार कर लिया.
रामपाल ने सुंदरी को अपने और निकट लाने के लिए उसे चाय और पानी पिलाने के काम पर लगा दिया. चाय और पानी पीने के बहाने वह सुंदरी को बारबार अपने औफिस में बुलाता रहता था. एक दिन अकेले में रामपाल ने सुंदरी पर अपनी इच्छा का निशाना साधते हुए कहा, " सुंदरी, तुम बला की खूबसूरत हो."
"अरे साहब, आप भी तो हट्टेकट्टे नौजवान हो," सुंदरी ने मनमोहक मुसकान से जवाब दिया.
रामपाल इश्क लड़ाने का माहिर खिलाड़ी था. वह समझ गया कि शिकार खुद फंसने को तैयार है. तभी सुंदरी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली, "साहब, सुना है कि आप पक्के निशानची भी हो."
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