ओनीर फिर चिढ़ा, “मैं गलत बात को गलत कह रहा हूं. मैम से मेरी कोई पर्सनल प्रौब्लम थोड़े ही है.”
“आप को पता है कि आप मैम से गलत तरह से बात कर रहे थे, इस तरह की जातिगत बहस हमारी क्लासरूम तक न ही पहुंचे तो अच्छा रहेगा. मैम, अब आप बताएं कि अगले प्रोजैक्ट के लिए क्या करना है, काफी टाइम वेस्ट हो गया है.”
ओनीर ने सहर को देखा, वाइट कुरते, जीन्स में पतली, लंबी सी सुंदर सहर, हमेशा की तरह उस के दिल में उतर गई, फिर सोचा, काश…
सहर को बहुत सारे शेर, ग़ज़लें, गीत, याद रहते थे. वह बहुत अच्छा गाती भी थी. जब भी कोई शेर कहती, उस की जादुई आवाज़ में सामने वाले जैसे खुद को भूल जाते. वह अपनी इस शायरी के लिए पूरे कालेज में मशहूर थी. कोई भी फंक्शन होता, कुछ न कुछ ज़रूर गाती. इस समय भी उस ने चैताली को देख कर कहा, “मैम, यह आप के लिए- “ज़हर मीठा हो तो पीने में मजा आता है, बात सच कहिए मगर यूँ कि हकीकत न लगे.”
सब हंस पड़े. पढाई शुरू हुई. उस के बाद सहर के चेहरे से ओनीर नज़रें हटा न पाया.
चैताली ने आज क्लास को फिर गंभीर मुद्रा में ही नोट्स दिए. थोड़ी देर बाद सब अपनेअपने दोस्तों के साथ कौफीहाउस की तरफ चल दिए. वहां का स्टाफ सब को पहचानता ही था, सहर अपनी फ्रैंड्स नितारा और मिराया के साथ नींबू पानी का और्डर दे कर बैठ गई. बराबर में ही लड़के अपना और्डर दे कर बैठ गए. नितारा ने ओनीर को छेड़ दिया, “तुम आज कुछ कोल्डड्रिंक ले लो, दिमाग बहुत गरम है तुम्हारा.”
“बात ही ऐसी करती हैं मैम. आ जाएंगी अपनी दलित बस्ती को बीच में ले कर. कोईं खबर आई नहीं कि उन्हें दुख होना शुरू हो जाता है.”
सहर ने कहा, “तुम अपनी जाति को ले कर नहीं आते? कभी सोचा है कि इतनी बड़ी डिग्री लेने जाने वाला इंसान हिंदू राष्ट्र की बात करते हुए कैसा लगता होगा?” सहर के आगे तो ओनीर वैसे ही हारने लगता था, फिर भी बोला, “काफी दिनों से सोच रहा हूं कि तुम, सहर नौटियाल. यह सरनेम कम ही सुना है. मुंबई के तो नहीं हो तुम लोग?”
“तुम सचमुच जाति से बढ़ कर नहीं सोच सकते?”
“मुझे भविष्य में एक इतिहासकार बनना है, राजनीति में जाना है.”
“उस के लिए इतना पढ़ने की क्या ज़रूरत है?” सहर के इतना कहते ही सब हंस पड़े. सब के और्डर सर्व हो चुके थे, सब खानेपीने लगे. सब जानते थे कि ओनीर को सहर पसंद है पर सहर के पेरैंट्स में से कोई तो मुसलिम है, ओनीर इसलिए कुछ आगे नहीं बढ़ता है. बस, इतना ही पता था सब को. और यही सच भी था.
सहर ने नींबूपानी का एक घूंट भरते हुए कहा, “कोई हिन्दू, कोई मुसलिम,कोई ईसाई है, सब ने इंसान न बनने की कसम खाई है.” सहर की गंभीर आवाज़ पर कुछ सैकंड्स के लिए सन्नाटा हो गया.
ओनीर ने जलीकटी टोन में कहा, “बस, इसी से सब चुप हो जाते हैं, तुम्हें पता है.”
सहर ने कहा, “ओनीर, वैसे तो तुम्हारा अपना सोचने का ढंग है पर मेरे खयाल से एक दोस्त की हैसियत से यह ज़रूर कहना चाहूंगी कि हम आज जहां बैठे हैं, हमारे और उन नफरत फ़ैलाने वाले लोगों में कुछ फर्क तो होना ही चाहिए न? तुम वही भाषा बोलते हो जो एक समझदार इंसान को नहीं बोलनी चाहिए.”
“जो दिख रहा है, वही तो बोलता हूं.”
“नहीं, जो दिख रहा है, वह ज़्यादातर मनगढ़ंत है, सही नहीं है. दूसरे स्किल की तरह हमें अब फैक्ट चैकिंग की स्किल भी डैवलप करनी चाहिए. तलाशना होगा कि क्या सच है और क्या झूठ. मैं ने तो पढ़ा है कि फ़िनलैंड और कुछ देशों में तो स्कूली कोर्स में आजकल फैक्ट चीकिंग पढ़ाई जा रही है. हमारे यहां भी यह कोर्स शुरू होना चाहिए क्योंकि अब इनफौर्मेशन कई जगहों से आ रही है और उसे बीच में कोई चैक करने वाला नहीं है. पहले मीडिया हमारे लिए यह काम करता था, पर अब तो बीच में मीडिया भी नहीं है.”
“यह सब तुम मुझे क्यों सुना रही हो?”