“तुम्हें ही तो इतिहासकार बनना है न,” सहर मुसकरा दी, आगे कहा, “इतिहास लिखोगे तो सारे तथ्य लिखना. सच सब से ज़्यादा ज़रूरी होता है, याद रखना. इतिहासकार को सच ही लिखना चाहिए. उस से फ़ायदा होगा या नुकसान, यह देखना इतिहासकार का काम नहीं होता है.”
“पर यह सब मुझे सुनाने से क्या होगा, क्या मैं बेवकूफ हूं?”
सहर हंस पड़ी, बोली, “अच्छा सुनने की सलाहियत से अच्छा कहने का शऊर आता है.”
“एक तो तुम पता नहीं कैसी हिंदी बोलती हो, कभी उर्दू. मुझे तो तुम्हारी आधी बातें समझ ही नहीं आतीं. ठीक से इंग्लिश में ही बात क्यों नहीं कर लेतीं?”
“फिर कहोगे, हिंदू राष्ट्र में सब को हिंदी ही बोलनी है. अंगरेजों ने गुलाम बनाया था न, इसलिए उन की भाषा नहीं बोल रही.” उस की इस बात पर सब ज़ोर से हंसे, ओनीर झेंप गया. सिर्फ सहर ही उसे चुप करवा सकती थी. नएनए प्रेम में पड़े इंसान के लिए सबकुछ इतना भी आसान नहीं होता. और ओनीर तो सहर के प्रेम में बुरी तरह डूबा था.
“बहुत दिनों से पूछना चाह रहा था, तुम लोग उत्तराखंड से हो न? नौटियाल सरनेम वहीं से है न?”
“वाह, मुझ पर भी रिसर्च हो रही है.”
सब हंसने लगे, ओनीर चिढ़ा, “कुछ ठीक से बताओगी अपने बारे में? अब तो कालेज भी ख़त्म होने को आए.”
“हम नौटियाल लोग करीब 700 साल पहले टिहरी से आ कर तली चांदपुर में नौटी गांव में आ कर बस गए थे. नौटियाल चांदपुर गढ़ी के राजा कनकपाल के साथ संवत 945 में मालवा से आ कर यहां बसे, इन के बसने के स्थान का नाम गोदी था जो बाद में नौटी के नाम में बदल गया और नौटियाल जाति मशहूर हुई. यह सब मेरे पापा ने मेरी मम्मी को बताया था और मुझे मम्मी ने. और कुछ पूछना है?”