ये कैसी बेबसी : अरुण चाह कर भी कुछ क्यों नहीं कह पाया ?
बुजुर्ग दंपती पत्थर के बुत जैसे बन कर रह गए थे, गांव में विचित्र सी शांति छा गई थी और दिव्या आर्मी वालों के साथ बंदी बनाए गए कुमजुक आओ को जाते हुए देख रही थी, जबकि अरुण चाह कर भी कुछ नहीं कर पाया.