जब तनीषा को ये सब बातें पता चलीं तो उस ने विवाह करने से ही मना कर दिया. उस ने परख से कहा, ‘‘यदि इस विवाह से तुम्हारी जान को खतरा है तो मैं तुम्हें आजाद करती हूं, क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ अपना पूरा जीवन बिताना है न केवल तुम्हें पाना. यदि तुम्हें कुछ हो गया तो मैं तुम्हारे बिना क्या करूंगी?’’
परख को बड़ा ही आश्चर्य हुआ. उस ने कहा, ‘‘अब जब हम दोनों ही एकदूसरे को प्यार करते हैं तो फिर इन रूढि़वादी रिवाजों के डर से तुम अपने कदम पीछे क्यों कर रही हो? क्या तुम्हें तुम्हारी शिक्षा इन्हीं सब अंधविश्वासों को मानने के लिए ही मिली है? बी लौजिकल.’’
लेकिन तनीषा अपनी बात पर अडिग रही. उस ने परख को कोई उत्तर नहीं दिया. किंतु परख ने उस की बाएं हाथ की उंगली में अपने नाम की हीरों जड़ी अंगूठी पहना ही दी.
‘‘यह अंगूठी मेरी ओर से हमारी सगाई का प्रतीक है. मैं तुम्हारी हां की प्रतीक्षा करूंगा,’’ कह कर परख वहां से चला गया.
तनीषा ने अब परख से मिलनाजुलना भी कम कर दिया था. डरती थी कि कहीं वह कमजोर न पड़ जाए और परख की बात मान ले. परख भी अब चुपचाप उस समय की प्रतीक्षा कर रहा था जब उस की तनु विवाह के लिए हां कर दे. इस बीच तनु को एक स्थानीय कालेज में लैक्चररशिप मिल गई और उस ने खुद को अध्यापन कार्य में ही व्यस्त कर लिया.
इधर परख भी एक फैलोशिप पा कर कनाडा चला गया था 2 वर्षों के लिए. फिर कुछ
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरिता सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरिता मैगजीन का सारा कंटेंट
- देश विदेश के राजनैतिक मुद्दे
- 7000 से ज्यादा कहानियां
- समाजिक समस्याओं पर चोट करते लेख
- 24 प्रिंट मैगजीन