online hindi story : इंसान कई बार अपने को कितना बेबस महसूस करता है. अपना गुस्सा, डिप्रैशन निकाले तो किस पर. ऐसे में घर में स्त्री पर हावी होना आसान लगता है क्योंकि वह चुप रहती है. वह समझती है पुरुष की मनोदशा.
पूरे दिन दफ्तर में मेहनत की पीपनी से बजतेबजाते, बौस की खरीखोटी सुनतेसुनाते और शाम तक अपने होशोहवास को क्लाइंट्स की चिल्लपों से बचतेबचाते धीरज फुरसत के कुछ पलों की खोज में बसस्टैंड की एक बैंच पर बैठा था.
जीवन की नकली बेचैनियों में झूठी तसल्ली ढूंढ़ने की नाकाम कोशिश कर रहा था शायद. बेचारा नाकाम इसलिए क्योंकि अभी उन्हें बैठे 5 मिनट भी नहीं बीते थे कि बाइक पर 4 लड़के यों ही मस्ती में उन के सिर पर टपली मारते हुए बिलकुल उन के पास से गीदड़ का जिगर और सियार की आवाज करते हुए निकले.
यह सब इतनी जल्दी हुआ कि मोटरसाइकिल की रफ्तार और धीरज के मनमस्तिष्क की गति का संसार एक धरातल पर आने से पहले ही वह बाइक उन की आंखों से ओ झल हो गई थी. चंद मिनटों बाद जब तक उन्हें सम झ पड़ा कि उन के साथ हुआ क्या है तब तक पास खड़े लोगों के एक समूह की बातें उन के कानों में पहुंचनी शुरू हो चुकी थीं. उन की बातों में उन्हें खुद के कायर और डरपोक होने की महक आ गई थी.
कुछ देर बाद उस समूह में से एक व्यक्ति उन के नजदीक आया और उन से सहानुभूति दिखाते हुए बोला, ‘‘भलाई और अच्छाई का जमाना नहीं है, भाईसाहब, अब देखिए न, आप के साथ बिलकुल अच्छा नहीं हुआ. हमें बेहद अफसोस है.’’ यह कह कर उस ने अपना एक हाथ उन के कंधे पर रख दिया.
अभी सहानुभूति की उष्णता उन के हृदय तक पहुंच भी न पाई थी की उस व्यक्ति ने फिर मुंह खोला, ‘‘पर भाईसाहब, इतनी अच्छाई भी किस काम की, आप को भी ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए था.’’
‘‘हां, लेकिन...’’ वे अपनी बात पूरी भी न कर पाए थे कि उन्होंने देखा वह पूरा समूह ही उन की ओर चला आ रहा है. उन में से एक व्यक्ति बोला, ‘‘क्या लेकिनवेकिन साहब, आप मु झे यह बताइए कि आप मर्द हैं कि नहीं?’’ सच है कि कई बार हमारे ईगो को इतनी ठेस नहीं भी पहुंचती है पर समाज के लोग इसे इतना बढ़ाचढ़ा कर बतलाते हैं कि हमें खुद पर ही संशय होने लगता है.
अभी उन का मर्द अंदर से जीवंत होना शुरू ही हुआ था कि उस समूह के लोगों की बस आ गई और वे सभी उन में कृत्रिम वीरता के कीटाणु छोड़ कर बस में चढ़ गए. कुछ देर बाद उन की बस भी आ गई. घर पहुंच कर अपनी मर्दांगी के माप के पैमाने को नापने की उधेड़बुन में उन्होंने खाना भी अनमने मन से खाया.
पत्नी ने खराब मूड का कारण पूछा तो उसी बेचारी पर झल्ला पड़े. सच है, जबरदस्ती कुरेदा हुआ पुरुषार्थ ही स्त्री पर चिल्लाता है. उन का यह रूप पहली बार देख कर 5 वर्षीया एकलौती बेटी कमरे के एक कोने में बैठ गई. खाना खा कर वे कंप्यूटर पर मेल चैक करने लगे. अपना अकाउंट साइनइन करने के लिए स्क्रीन पर लिखा आया, ‘आर यू अ रोबोट?’ सच है, कैसा जमाना आ गया है कि एक मशीन इंसान से पूछ रही है कि क्या आप एक रोबोट हैं?
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