‘‘कुछ सुना आप ने, वो अपने मिश्रा जी हैं न... उन की बहू घर छोड़ कर चली गई,’’ औफिस से घर आते ही रमा ने चाय के साथ पति योगेश को यह सनसनीखेज खबर भी परोस दी.
‘‘कौन से मिश्रा जी? वो जो पिछली गली में रहते हैं, जिन के यहां हम भी गए थे शादी में... वो? लेकिन उस शादी के तो अभी 6 महीने भी नहीं हुए. आखिर ऐसा क्या हुआ होगा?’’ योगेश ने चाय के घूंट के साथ खबर को भी गटकने की कोशिश की, लेकिन खबर थी कि गले से नीचे ही नहीं उतर रही थी.
‘‘हांहां वही. बहू कहती है ससुराल में उसे घुटन होती है. ये आजकल की लड़कियां भी न... रिश्तों को तो कुछ समझती ही नहीं हैं. मानो रिश्ते न हुए नए फैशन के कपड़े हो गए. इधर जरा सा अनफिट हुए, उधर अलमारी से बाहर. एक हम थे जो कपड़ों को फटने तक रफू करकर के पहनते रहते थे, वैसे ही रिश्तों को भी लाख गिलेशिकवों के बावजूद निभाते रहते हैं,’’ रमा ने अपने जमाने को याद कर के ठंडी सांस ली.
‘‘लेकिन तुम्हीं ने तो एक बार बताया था कि मिश्राजी अपनी बहू को एकदम बेटी की तरह रखते हैं. न खानेपीने में पाबंदी, न घूमनेफिरने में रोकटोक. यहां तक कि अपनी बिटिया की तरह बहू को भी लेटैस्ट फैशन के कपड़े पहनने की छूट दे रखी है. फिर भला बहू को क्या परेशानी हो गई?’’
‘‘वही तो, मिश्रा जी ने पहले तो जरूरत से ज्यादा लाड़ कर के उसे सिर पर चढ़ा लिया, और देखो, अब वही लाड़ उस के सिर चढ़ कर बोलने लगा. इन बहुओं की लगाम तो कस कर ही रखनी चाहिए जैसी हमारे जमाने में रखी जाती थी. क्या मजाल कि मुंह से चूं भी निकल जाए,’’ रमा ने अपना समय याद किया.
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