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खैर, जब प्रथम की शादी की बात नातेरिश्तेदारों में वायरल हुई तो हर रोज कहीं न कहीं से लड़कियों के फोटो और बायोडाटा आने लगे. हर शाम पहले रमा उन्हें देखतीपरखती, फिर रमा की चुनी हुई लिस्ट पर योगेश की सहमति की मुहर लगती और फिर फाइनल अप्रूवल के लिए सारा डाटा प्रथम को भेज दिया जाता.

महीनों की कवायद के बाद आखिर सर्वसम्मति से सलोनी के नाम पर अंतिम मुहर लग गई. 5 फुट, 4 इंच लंबी, रंग गोरा, कालेघने बाल, और आकर्षक व्यक्तित्व की स्वामिनी सलोनी यथा नाम यथा गुण, एक ही नजर में सब को पसंद आ गई. ऊपर से एमटैक की डिगरी सोने पर सुहागा. जिस ने सुना उसी ने प्रथम को उत्तम चयन के लिए बधाई दी.

रमा खुश थी, लेकिन एक डर अभी भी उसे भीतर खाए जा रहा था. डर यह कि कहीं सलोनी भी सोने की परत चढ़ा हुआ पीतल तो नहीं है. आखिर यह भी आज के जमाने की ही लड़की है न, क्या शादी को निबाह लेगी?

सगाई के 4 महीने बाद शादी होना तय हुआ. इन 4 महीनों में रमा ने चाहे कपड़े हों या गहने, शादी का जोड़ा हो या हनीमून डैस्टिनेशन, सबकुछ सलोनी की पसंद को ध्यान में रखते हुए ही फाइनल किया. रमा सभी के अनुभवों से सबक लेते हुए बहुत ही सेफ साइड चल रही थी.

धूमधाम से शादी हो गई. कुछ रमा को, तो कुछ सलोनी को हिदायतेंनसीहतें देतेदेते मेहमानों से भरा हुआ घर धीरेधीरे खाली हो गया. प्रथम और सलोनी अपने हनीमून से भी लौट आए. दोनों ही खुश और संतुष्ट लग रहे थे. रमा ने चैन की सांस ली. अब तक तो सबकुछ किसी सुंदर सपने सा चल रहा था. हकीकत से सामना होना अभी बाकी था.

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