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उस दिन सागर के पास से लौटी सरिता ने फिर उससे कोई कौन्टैक्ट नहीं किया. सागर ने भी चैन की सांस ली कि चलो पीछा छूटा. छह महीने बीत गये. अचानक एक दिन सागर को सरिता की शादी का कार्ड मिला. वह किसी विनय शर्मा से शादी कर रही थी. शादी का कार्ड देखकर वह हैरान तो बहुत हुआ, मगर खुशी भी हुई कि चलो झंझट से पूरी तरह मुक्ति मिल गयी. उसे उम्मीद नहीं थी कि सरित इतनी जल्दी नॉर्मल लाइफ में लौट आएगी. हालांकि शूटिंग में व्यस्त होने के कारण सागर उसकी शादी में नहीं पहुंच सका. सच पूछो तो अब वह सरिता का सामना नहीं करना चाहता था, इसलिए नहीं गया. उसके मन में कहीं न कहीं गहरी ग्लानि भरी हुई थी. लेकिन कुछ दिनों बाद शिमला में एक सीरियल की शूटिंग के दौरान उसके पास सरिता का फोन आया. वह काफी गुस्से में लग रही थी.

‘तुम मेरी शादी में क्यों नहीं आये? मेरा तोहफा भी हजम कर गये? बहुत बेइमान हो?’ उसने उलाहना दिया.

‘अरे सरिता... यह बात नहीं है... मैं सचमुच बहुत व्यस्त था... शिमला में शूटिंग चल रही है... नया सीरियल है...’ वह सफाई देता हुआ सा बोला.

‘दोस्त तो हूं न तुम्हारी... या सब खत्म...?’ सरिता ने तंज मारने के लहजे पूछा.

‘अरे नहीं यार... ऐसा कैसे हो सकता है... तुम मेरी दोस्त थी, हो और हमेशा रहोगी...’ सागर उसकी बेबाकी पर हैरान था.

‘तो चलो न दोस्ती की नई परिभाषा लिखते हैं... बिल्कुल तुम्हारे अनुकूल...’ सरिता हंसते हुए बोली.

‘क्या मतलब...?’ सागर उसकी बात सुनकर हैरान हुआ.

‘मतलब भी पता चल जाएगा, अभी तो सिर्फ इतना जान लो कि हम दोनों भी शिमला आये हुए हैं, यहां विनय की पैतृक जमीन है पुरानी झील के पास और वहीं एक कॉटेज भी... और आज शाम तुम हमारे घर खाने पर आ रहे हो... आओगे न...?’ उसने बड़े प्यार और इसरार से पूछा.

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