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‘कपूर साहब... कल मुम्बई से एक मौडल आ रहा है... यहां रविन्द्रालय हौल में उसका एक शो है... उसके बाद मैंने उसे स्टूडियो बुला लिया है... उभरता हुआ मौडल है... कल को बड़ा नाम बनेगा... क्यों न कल शाम आप उसका एक इंटरव्यू ले लीजिए अपने कार्यक्रम ‘इनसे मिलिए’ के लिए...? कार्यक्रम के प्रभारी अनिल त्यागी ने अपने रेडियो उद्घोषक सागर कपूर के कमरे में घुसते हुए कहा.

‘अरे भाई आप कहें और मैं न लूं...? त्यागी साहब... आप तो बस आदेश किया करें... हम तो बैठे ही हैं इंटरव्यू लेने के लिए...’ सागर कपूर ने हंसते हुए अनिल त्यागी का स्वागत किया और उनका हाथ थाम कर कुर्सी पर बिठा दिया, ‘चाय मंगाऊं...?’ उन्होंने टेबल पर रखी घंटी की ओर हाथ बढ़ाते हुए पूछा.

‘अरे, नहीं, नहीं... अभी पी है...’ त्यागी ने उन्हें रोकते हुए कहा, ‘उस मौडल का नाम साहिल शर्मा है... कुछ बड़ी ऐड कम्पनियों के लिए मौडलिंग कर रहा है, मेरी उससे मुम्बई में एक फंक्शन के दौरान मुलाकात हुई थी, वैसे तो यहीं लखनऊ का रहने वाला है, मुम्बई में तीन-चार साल से स्ट्रगल कर रहा था, अब उसके पास काफी अच्छे प्रोजेक्ट्स हैं... एक फिल्म भी मिलने के चांस बन रहे हैं...’ अनिल त्यागी ने जानकारी देते हुए कहा, ‘इनसे मिलिए प्रोग्राम वैसे भी नौजवानों के लिए है, तो इसका इंटरव्यू अच्छा रहेगा...’

‘हां, हां... क्यों नहीं, मैं आज ही सवाल तैयार कर लेता हूं और कुछ गानों के रिकौर्ड्स भी निकाल लेता हूं...’ सागर कपूर ने हामी भरते हुए कहा.

‘इनसे मिलिए’ कार्यक्रम आजकल रेडियो पर काफी लोकप्रिय हो रहा था. किसी नौजवान बिजनेसमैन, आर्टिस्ट, डॉक्टर, इंजीनियर, राजनेता आदि जिन्होंने अपने क्षेत्र में कुछ नाम कमाया हो, उनके स्ट्रगलिंग लाइफ और कम उम्र की उपलब्धियों के बारे में बातचीत करते हुए बीच-बीच में कुछ मनपसंद गीतों के साथ यह कार्यक्रम युवाओं को काफी भा रहा है. इस प्रोग्राम के प्रभारी तो अनिल त्यागी हैं, मगर इसको तैयार करने की पूरी जिम्मेदारी सागर कपूर की ही है. सागर कपूर रेडियो में लम्बे समय से काम कर रहे हैं. एक उद्घोषक के तौर पर उनकी खास पहचान है. उनकी आवाज में जो ठहराव और भारीपन है वह सुनने वालों को अपने आकर्षण में बांध लेता है. उनकी मीठी और लच्छेदार बातों में बंधे लोग शुरू से अंत तक कार्यक्रम ‘इनसे मिलिए’ को सुनते हैं. सागर कपूर साधारण से साधारण बात को भी ऐसे नाटकीय ढंग से पेश करते हैं कि लोग सुन कर झूम उठते हैं. गानों और गप्पों के साथ-साथ वे ज्ञान की भी काफी बातें बांचते हैं, जीवन से जुड़ी ऐसी-ऐसी गूढ़ बातें, जिन्हें सुनना बड़ा अच्छा मालूम पड़ता है. यही वजह है कि बीते पंद्रह वर्षों से वह इस रेडियो स्टेशन पर जमे हुए थे. कई बार नौकरी छोड़ने की बात सोची, मगर कोई उन्हें जाने ही नहीं देता है.

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