Hindi Social Story: नीलू ने सुमन मैम के आदर्शों को अपने जीवन में उतारा था। वे उसके लिए एक आदर्श, परोपकारी रूप थीं। उन्हीं मैम को भिखारिन के लिबास में देखकर वह सन्न रह गई थी।
“पक्का ही ये तो मैम ही हैं!” नीलू ने एक बार फिर उन्हें गौर से देखा।
उसे याद आया कि जब उसने 12वीं में टॉप किया था, तब वह मैम से मिलने उनके ऑफिस में गई थी। वैसे, मैम बहुत कड़क स्वभाव की और अनुशासनप्रिय थीं, इसलिए हर कोई उनसे ऐसे ही नहीं मिल सकता था। लेकिन वह चूँकि स्कूल की होशियार छात्राओं में शामिल थी और मैम उसे मार्गदर्शन देती रहती थीं, इसलिए उसने उनसे मिलने का निश्चय किया।
बाहर चपरासी बैठा रहता था।
“क्या है?”
“मुझे मैम से मिलना है।”
“अरे, मैम स्टूडेंट्स से नहीं मिलतीं, तुम इतना भी नहीं जानती?” — उसने बेरुखी से कहा।
“हाँ, लेकिन मुझे उन्हें धन्यवाद बोलना है। मैंने कक्षा 12वीं की परीक्षा पास कर ली है और अब स्कूल से विदा ले रही हूँ।”
“तो बहुत सारी छात्राओं ने 12वीं पास की है, क्या मैम सब से मिलेंगी?”
मुझे समझ में आ गया था कि यह मुझे मैम के ऑफिस के अंदर नहीं जाने देगा, इसलिए मैंने बाहर से ही आवाज लगा दी थी —
“मैम, मैं नीलू हूँ, मुझसे मिलिए।”
मेरे आवाज लगाने पर चपरासी हड़बड़ा गया था।
“ओके, अंदर आ जाओ।”
जैसे ही मैम ने अंदर आने को कहा, मैं बेधड़क ऑफिस का दरवाजा खोलकर अंदर चली गई।
मैम ने आसमानी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, बालों का जूड़ा बनाया हुआ था, जिसके एक कोने में सफेद पारिजात का फूल लगा था। वैसे तो मैम का रंग सांवला ही था, पर वे बहुत खूबसूरत लगती थीं। एक बड़ी सी टेबल थी, जिसके एक ओर करीने से फाइलें सजी हुई थीं और सामने कुछ कागज़ रखे थे जिन्हें मैम पढ़ रही थीं। इसी टेबल पर उनकी नेमप्लेट रखी थी —
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