Social Story In Hindi : यहां बात इंसानों के बीच लड़ाई की नहीं, कुत्तों के बीच की लड़ाई की थी, लेकिन उन कुत्तों के मालिक तो इंसान थे न. और इंसान कुत्ते की तरह वफादार नहीं होता.

‘‘वह क्या है कि जब युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रौपदी संग जीवित ही हिमालय के रास्ते दुनिया से प्रस्थान कर गए तो उन्हें छोड़ बाकी सभी हिमालय की भयानक ठंड से एक-एक कर गल कर मृत्यु को प्राप्त हो गए. एकमात्र धर्मराज युधिष्ठिर ही थे जो हिमालय की चोटी पर स्थित एक विशेष दरवाजे पर पहुंचने में कामयाब हुए थे,’’ रामजी सिंह ने कथा कहते हुए थोड़ी देर सांस ली, फिर अपने कुत्ते शेरू को सहलाया. वह पुलक भरते अगराने और अपनी पूंछ उन की देह से रगड़ने लगा. उस की अगराहट काबिल-ए-तारीफ थी.

रामजी खुद भले मांस-मछली न खाएं मगर शेरू के लिए उस का इंतजाम जरूर करते थे. दरअसल उन के हिमालय वाले बाबा ने जब से उन्हें गुरु मंत्र दिया था, वे शाकाहारी हो गए थे.

उन के चुप होते ही अर्जुन सिंह अधीर होने लगे. उन्हें मिथकों, पुराण कथाओं में अत्यंत रुचि थी और रामजी सिंह ठहरे बनारस के निवासी. उन्हें पुराण कथा न पता होता तो किसे पता होता. ‘‘अब आगे की कथा सुनाइए महाराज,’’ अर्जुन सिंह शेरू को दूर से ही निहारते हुए बोले, ‘‘जब युधिष्ठिर विशेष दरवाजे पर पहुंचे तो अंदर बड़ा सत्कार हुआ होगा?’’

‘‘अरे नहीं महाराज, देवदूत तो उन की अगवानी में खड़ा था लेकिन युधिष्ठिर के साथ तो वह कुत्ता राजधानी हस्तिनापुर से ही साथ चला आ रहा था. देवदूत ने कुत्ते को अंदर नहीं आने दिया. युधिष्ठिर अड़ गए कि वह भी उन के साथ अंदर जाएगा. पत्नी और भाइयों तक ने आखिरकार उन का साथ छोड़ दिया लेकिन इस कुत्ते ने अंत तक उन का साथ दिया है, सो वे उसे ऐसे कैसे छोड़ दें?

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