वह मन ही मन लापरवाही से बोला, 'जो होगा देखा जाएगा. एक दिन तो बताना ही था. आज ही मैं उन्हें बता दूंगा कि मैं ने रोजी के साथ शादी कर ली है, “शुभस्य शीघ्रम.‘’
उस ने मन ही मन अम्मां का सामना करने के लिए अपने को तैयार कर लिया था. रोजी भी घबराई हुई थी, जाने क्या हंगामा होने वाला है. वह मन ही मन डर रही थी. वह अपने कमरे में चली गई थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या करना चाहिए.
"अम्मां आई हैं..." सुनते ही शिव भावुक हो कर लिफ्ट से तेजी से मां से मिलने को आतुर हो नीचे पहुंच गया था. उन के पैर छू कर वह उन से लिपट गया. मांबेटे दोनों की आंखों से आंसू बह निकले थे.
गगन उस की दूर की बूआ का बेटा था. वह भी उसी कंपनी में काम करता था. अम्मां को शायद उस ने ही बताया होगा...
"क्यों शिव, हमें किसी ने बताया है कि तुम ने ब्याह कर लिया है?"
'धीरे बोलो अम्मां... घर के अंदर चलो. सब बताते हैं.‘
वे घर में घुसते ही सुंदर साजसज्जा को देखती ही रह गईं, "मुझे लग रहा है कि यह बात सच है कि तुम ने शादी कर ली है..."
"मेरी बात मत काटो. अब मैं बिरादरी वालों के सामने क्या मुंह दिखाऊंगी शिव, तुम बहुत ही नालायक निकले... मेरी नाक कटा कर रख दी आदि कह कर रोतीबिसूरती रहीं.
"देखिए अम्मां, शादी तो हम ने कर ली है. अब जैसे बात बने वह करिए.*
"यह तो बताओ कि कौन जाति की है?"