एक रूढिवादी परिवार, जहां परदा, पूजापाठ, व्रतउपवास आदि पुराने नियम चलते हैं, पर पत्नी के हिस्से में डांटफटकार, गालीगलौज, कभी हाथ भी उठा देना... यह देख बेटा तिलमिला कर रह जाता... घर के बिजनैस को छोड़ कर नौकरी उस ने ज्वायन कर ली... वहीं शादी भी कर ली. घर आया करता, लेकिन अपनी शादी के बारे में कभी नहीं बताया.
यह कहानी पतिपत्नी के आराम से रहते हुए शुरू होती है और वे बिना पूजापाठ किए कैसे मजे से रह रहे हैं, यह दिखाती है... मुसीबत तब आती है, जब बेटे की मां धमक जाए कि शादी तोड़ो, वरना पिता की अपनी और संयुक्त परिवार की संपत्ति सारी बेटी को चली जाएगी... जिस का पति सजातीय, पूजापाठी, ऐयाश और निकम्मा है.
पिछली बातें मांबेटे के संवादों से बाहर आ सकती हैं. मां दुहाई दे कि मरणासन्न कोमा में पड़ा पिता बिना वसीयत के जा रहा है और दामाद घर दबोचने को तैयार है... बेटी सुनती नहीं...
किरिस्तानी लड़की,
‘सुशीलाजी, हम ये क्या सुन रहे हैं... शिव ने कोर्ट में किरिस्तानी लड़की से शादी कर ली,’ पंडित रामकिशोर क्रोधित स्वर में बोले थे.
‘ये क्या कह रहे हैं आप? शिव ऐसा नहीं कर सकता...’
‘लो देख कर अपना कलेजा ठंडा कर लो...' उन्होंने अपने फोन पर फोटो खोल कर दिखाई, ’बहू तो सुंदर दिखाई पड़ रही है.'
‘सुंदरता ले कर चाटो न... न दान, न दहेज. तुम्हारा बेटा तो पैदाइशी बेवकूफ है... पढ़ाईलिखाई ने और भी दिमाग खराब कर दिया है...' पंडितजी बोल पड़े...
'किस ने बताया तुम्हें? आम खाने से मतलब है कि गुठली गिनने से...' वह गुस्से से थरथर कांप रहे थे.