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वैजंती माजरा कुछ समझ पाती कि उस से पहले हेमा जी की आवाज से वह चौंक पड़ी. “आखिर क्या खराबी है वैजंती में, बोल न? पढ़ीलिखी, सुंदर, संस्कारी लड़की है, तो और क्या चाहिए तुम्हें?” उस पर अर्जुन ने कहा कि उसे नहीं चाहिए सुंदर, संस्कारी लड़की, क्योंकि वह किसी और से प्यार करता है और उस से शादी करने का वादा कर चुका है. इसलिए उसे वैजंती से तलाक चाहिए जल्द. सुन कर वैजंती सन्न रह गई थी. उस की आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे. यह सोच कर कि फिर क्यों उस ने उस से शादी की, मना कर देते. लेकिन यहां अर्जुन ने इसलिए वैजंती से शादी की क्योंकि हेमा ने उसे वार्निंग दी थी कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह जान दे देगी और मजबूरन अर्जुन को वैजंती से शादी करनी पड़ी थी. लेकिन अब उसे किसी की परवा नहीं. जिसे मरना है, मरे. उसे तो वैजंती से तलाक चाहिए था. हेमा जी ने बेटे के सामने हाथ जोड़े, पैर पड़े. पर वह नहीं माना, कहने लगा, अगर उस की बात नहीं मानी गई तो वह आत्महत्या कर लेगा. कौन माँबाप चाहेगा कि उन का बेटा मर जाए. शादी के 3 महीने भी पूरे नहीं हुए और अर्जुन व वैजंती का तलाक हो गया.

“आज मुझे एहसास होता है कि वह मेरी गलती थी. मुझे उस के साथ जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए थी,” अपने आंसू पोंछती हुई हेमा जी कहने लगीं, “दुख मुझे इस बात का है कि हमेशा हंसनेमुसकराने और खुशमिजाज लड़की को मैं ने उदासी में धकेल दिया. दुख इस बात का भी है कि एक पराई लड़की की खातिर मेरे बेटे ने अपने मांबाप के प्यार को, उन के त्याग को भुला दिया. खैर, जो भी हुआ, बुरा हुआ. लेकिन अब मुझे ही सब ठीक करना था. इसलिए हम ने उसे आगे की पढ़ाई के लिए प्रोसाहित किया और आज वह अच्छी सरकारी जौब में है. अर्जुन बेटा है हमारा, उस का बुरा नहीं चाहेंगे कभी. लेकिन अब हमारा उस से कोई रिश्ता नहीं रहा. अब वैजंती ही हमारी संतान है,” बोल कर हेमा जी ने एक गहरी सांस ली.

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