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‘‘इसलिए कह रहा हूं कि आज वह तुम पर फिदा हो कर शादी कर ले, कल जब उस का दिल दूसरे पर आएगा और वह उस के साथ रहना चाहेगी तब क्या करोगे?’’

‘‘तब की तब देखी जाएगी. अभी तो मुझे सिर्फ क्रिस्टोफर चाहिए.’’

पापा चिढ़ कर बोले, "तुम्हारे ऊपर उस का भूत सवार है। इस समय तुम्हें कुछ समझ में नहीं आएगा. मगर याद रखना बाद में पछताओगे."

मम्मी ने सारी बातें सुनी. वह भी पापा के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं रखती थीं. मेरे करीब आईं. प्यार से बालों को सहलाते हुए उसे भूलने को कहा. क्या यह संभव था... मैं ने अपनेआप को एक कमरे में बंद कर लिया था. क्रिस्टोफर की फोटो अपने सीने से लगाए उस के साथ बिताए पलों का याद कर अपना जी हलका करने की कोशिश करने लगा. पूरे 1 महीने बाद एक सुबह अचानक क्रिस्टोफर ने मेरे घर पर दस्तक दी. उसे सामने पा कर मन बेकाबू हो गया. उसे बांहों में भर कर चूमने लगा. क्रिस्टोफर को मेरा यह व्यवहार अमर्यादित लगा,"यह क्या बदतमीजी है...’’ क्रिस्टोफर ने खुद को मुझ से अलग करने की कोशिश की.

‘‘क्रिस्टोफर, अब मुझे छोड़ कर कहीं नहीं जाओगी," मेरा कंठ भर आया. आंखें पनीली हो गईं.

‘‘क्या हालत बना रखी है. बेतरतीब बाल. बढ़ी दाढी. जिस्म से आती बू,’’ क्रिस्टोफर मुझ से छिटक कर अलग हो गई. यह मेरे लिए अपेक्षित नहीं था. होना तो यह चाहिए था वह भी मेरे प्रति ऐसा ही व्यवहार करती.

‘‘तुम पहले अपना हुलिया ठीक करो.’’

मैं भला क्रिस्टोफर का आदेश कैसे टाल सकता था. थोड़ी देर बाद जब मैं उस के पास आया तो वह खुश हो गई.

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