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‘‘और कुछ नहीं?’’

‘‘और क्या?’’

‘‘हमारे बीच जो संबंध बने उसे किस रूप में लेती हो?’’

‘‘वह हमारी शारीरिक जरूरत थी. इस को ले कर मैं गंभीर नहीं हूं. यह एक सामान्य घटना है मेरे लिए.’’

क्रिस्टोफर के कथन से मेरे मन में निराशा के भाव पैदा हो गए. इस के बावजूद मेरे दिल में उस के प्रति प्रेम कम नहीं हुआ. वह भले ही मुझे पैरिस न ले जाए. मैं ने कभी भी इस लोभ में पड़ कर उस से प्रेम नहीं किया. मैं ने सिर्फ क्रिस्टोफर की मासूमियत और निश्छलता से प्रेम किया था. आज के समय में वह मेरे लिए सबकुछ थी. मैं ने उस के लिए सब को भुला दिया. मेरे चित्त में हर वक्त उसी का चेहरा घूमता था. मेरे चित्त में हर वक्त उसी का चेहरा घूमता था.

‘‘यहां हूं बारामदे में,’’ क्रिस्टोफर बोली तो मैं तेजी से चल कर उस के पास आया और बांहों में भर लिया.

‘‘बिस्तर पर नहीं पाया इसलिए घबरा गया था,’’ मैं बोला.

‘‘चिंता मत करो. मैं पैरिस में नहीं, तुम्हारे साथ नैनीताल के एक होटल में हूं. तुम्हारे बिना लौटना क्या आसान होगा?’’ वह हंसी की.

क्रिस्टोफर ने मेरे चेहरे का पढ़ लिया,
‘‘उदास मत हो. वर्तमान में रहना सीखो. अभी तो मैं तुम्हारे सामने हूं डार्लिंग,’’ क्रिस्टोफर ने मुझे आलिंगनबद्ध कर लिया. मेरे भीतर का भय थम गया. 1 हफ्ते बाद हम दोनों वाराणसी आए. 2 दिन बाद क्रिस्टोफर ने बताया कि उसे पैरिस जाना होगा. 10 दिन बाद लौटगी. सुन कर मेरा दिल बैठ गया. उस के बगैर एक क्षण रहना मुश्किल था मेरे लिए.

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