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‘‘अपने मम्मीपापा की बात मान लो, कविता. वे जहां चाह रहे हैं वहीं शादी कर लो.’’

‘‘रवि, क्या तुम मेरे बिना अकेले जी सकोगे?’’

‘‘नहीं, कविता, वह जिंदगी तो मौत से भी बदतर होगी.’’

‘‘और मैं भी तुम्हारे सिवा किसी और की नहीं होना चाहती. पापा अपने मानसम्मान के लिए अगर मेरे प्यार का गला घोंटने की कोशिश जारी रखेंगे तो उन्हें कल सुबह अपनी मरी बेटी का मुंह देखने को मिलेगा.’’

‘‘तुम ठीक कहती हो, कविता। हमें साथसाथ मरने से तो कोई नहीं रोक सकता न.’’

‘‘रवि, पापा ने अगर कल उन लङके वालों को रोकने की रस्म अदा करने आने से नहीं रोका तो रात ठीक 10 बजे मैं नींद की सारी गोलियां खा लूंगी.’’

‘‘10 बजे तक तुम ने यदि मेरे पास फोन नहीं किया तो मैं भी अपना जीवन तुम्हारे साथसाथ समाप्त कर लूंगा, कविता.’’

सार्वजनिक पार्क की एक बैंच पर बैठा एक 16 वर्षीय विशाल ने जब यह बातचीत साफसाफ सुनी तो कुछ ही सैकंड बाद उस ने देखा कि रवि और कविता पार्क के गेट की तरफ निकल गए हैं.

विशाल को यह समझते देर न लगी कि ये दोनों एकदूसरे से बेहद प्यार करते हैं और शादी न हो सकने के कारण साथसाथ आत्महत्या करने का फैसला कर चुके हैं. अब वह खुद को एकाएक बेहद परेशान व उत्तेजित सा महसूस कर रहा था, लेकिन वह क्या करे उसे कुछ समझ नहीं आया.

रवि और कविता उस के लिए बिलकुल अनजान थे. यही वजह थी कि वह उन के पास जा कर उन्हें आत्महत्या न करने के लिए समझाने की हिम्मत न कर पाया. लेकिन उसे कुछ करना जरूर चाहिए, यह भाव लगातार उस के मन में आ रहा था.

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