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रातभर नीलू बिछावन पर उलटपुलट करती रही. समझ ही नहीं आ रहा था उसे कि अपने भैया को कैसे समझाए कि अमित कितना सुलझा हुआ इनसान है. कितनी बार वो इस बात का प्रमाण दे चुका है कि वही नीलू के लिए बेहतर लाइफ पार्टनर है.

मालूम है, अतुल्य बहुत पैसे वाला है. तो क्या करना है उसे उस के पैसों का? उसे तो अपने जीवन में एक प्यार करने वाला साथी चाहिए, जो अमित में उसे नजर आता है. और जातपांत क्या होता है? ये तो इनसान ने बनाए हैं न अपनी सुविधानुसार? वरना, सब का खून तो एकजैसा लाल ही होता है. एक गलत फैसले के कारण, कल को तीनतीन जिंदगियां बरबाद हो जाएं, इसलिए आज, अभी ही वो अपने भैया से अमित और अपने रिश्ते के बारे में सबकुछ बता देना चाहती थी.

नीलेश और अदिति के कमरे का दरवाजा बंद देख पहले तो उसे थोड़ा संकोच हुआ. लेकिन फिर उस ने दरवाजा खटखटा दिया. नहीं तो, कल शायद वो कमजोर पड़ जाती. इसलिए जो होना है आज ही होगा.

दरवाजा नीलेश ने ही खोला. वह कुछ पूछता, उस से पहले ही वह एक सांस में अपने प्यार की गाथा नीलेश के सामने रखती हुई बोली कि वह अमित से ही शादी करेगी, अतुल्य से नहीं.

सुनते ही नीलेश बम की तरह फट पड़ा, “ये क्या बके जा रही है? दिमाग तो ठिकाने पर है न तुम्हारा? तुम ने सोच भी कैसे लिया कि हम तुम्हारी शादी उस छोटी जाति के लड़के से करेंगे?” नीलेश गरजा, तो हड़बड़ा कर अदिति भी उठ कर बाहर आ गई.

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