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“मैं बीवी मटेरियल नहीं हूं, तो तुम ने इतने दिनों तक मुझे अंधेरे में क्यों रखा निखिल? क्यों कहते रहे कि तुम सिर्फ मुझ से प्यार करते हो. आज तुम्हारी वजह से मैं प्रेग्नेंट हुई हूं और कहते हो कि तुम मुझ से शादी नहीं कर सकते. क्यों? जवाब दो,” निखिल का कंधा हिलाते हुए श्लोका चिल्ला पड़ी.

“देखो, ज्यादा तैश में आने की जरूरत नहीं है समझी,” अपनी शर्ट झाड़ते हुए निखिल बोला, “तुम प्रेग्नेंट हो गई तो इस में मेरी क्या गलती है. क्या तुम्हें ध्यान नहीं रखना चाहिए था? नहीं रखा तो तुम जानो न. और हो सकता है, शादी की बातें मैं ने यों ही मजाक में बोल दी होंगी, तो तुम ने इतना सीरियसली क्यों ले लिया?”

“मजाक में... तो क्या शादी, प्यार जैसी बातें तुम्हारे लिए मजाक है निखिल ?”

“और नहीं तो क्या?” निखिल हंसा, “तुम्हारे जैसी कई लड़कियां मेरी जिंदगी आईं और गईं. अगर मैं सब से शादी ही करने लगता तो मेरा तो बंटाधार ही हो जाता न. वैसे, इस बात की क्या गारंटी है कि तुम्हारे पेट में जो बच्चा है वह मेरा ही है? किसी और का भी तो हो सकता है न और उस का पाप तुम मेरे सिर मढ़ना चाहती हो?”

“निखिल..." श्लोका ने एक जोर का थप्पड़ निखिल के गाल पर जड़ दिया. “तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई ऐसी घटिया बातें करने की? छिः, मुझे नहीं पता था कि तुम इतने नीच इनसान हो.”

श्लोका के तनबदन में आग लगी हुई थी. मन तो कर रहा था उस का अभी इसी वक्त पुलिस को फोन कर के उसे जेल भिजवा दे. लेकिन किस गुनाह में...? गलती तो उस की भी थी न, जो अपनी भावनाओं पर नियंत्रण न रख सकी. निखिल पर भरोसा कर उसे सबकुछ सौंप दिया. और आज वही इनसान उसे बीच मझधार में छोड़ कर भाग रहा है.

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