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कालेज से आते ही श्लोका बाथरूम में घुस गई. जब उस ने देखा टैस्ट किट 2 रैड लाइनें दिखा रही है, तो उस के होश उड़ गए.

‘नो, नो, ये गलत है. म… मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूं? जरूर यह किट ही गलत बता रही है,’ वह खुद में ही बड़बड़ाई और आंखें गड़ा कर उस पर लिखी जानकारी को गौर से पढ़ने लगी, जिस में लिखा था कि 99 फीसदी यह किट सही बताती है, इसलिए कंफर्म करने के लिए उस ने दोबारा चैक किया, लेकिन फिर वही 2 रैड लाइनें.

‘ओह, अब मैं क्या करूं?’ अपने दिल पर हाथ रख कर श्लोका रो पड़ी. उसे तो लगा था कि पीरियड में कुछ दिनों की देरी होना आम बात है. पहले भी कई बार ऐसा हो चुका था उस के साथ. लेकिन, उस ने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि इस बार लेट पीरियड का मतलब वह प्रेग्नेंट भी हो सकती है.

हालांकि, कुछ दिनों से श्लोका को महसूस तो हो ही रहा था कि उस का वजन बढ़ रहा है. लेकिन उसे लगा कि यह केवल उस का भ्रम है. लेकिन जब उस दिन मजाक में ही उस की दोस्त वीनी ने उस से कहा, ‘जरा कम खाया करो मैडम, मोटी हो रही हो,’ तब उसे एहसास हुआ कि उस का वजन सचमुच में बढ़ रहा है.

अपने शरीर में और भी कई तरह के बदलाव होते देख जब श्लोका ने इंटरनैट पर सर्च किया, तो शंका के निवारण के लिए वह कालेज से आते समय मैडिकल स्टोर से प्रेग्नेंसी किट खरीद लाई थी. लेकिन उस का शक बिलकुल सही निकला. वह सच में प्रेग्नेंट थी.

‘ओह, इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई मुझ से?’ अपना सिर थामे श्लोका वहीं धम्म से टायलेट सीट पर बैठ गई और सोचने लगी कि अगर यह बात घर में किसी को मालूम पड़ गई तो अनर्थ हो जाएगा.

सच तो यही है कि हमारे समाज में आज भी एक बिनब्याही लड़की का मां बनना अभी भी सामान्य बात नहीं है. सब से पहले तो उस के करैक्टर पर उंगली उठाई जाती है और फिर जी भर कर उसे कोसा जाता है.

समाज ने शादी नाम की संस्था को इस तरह गढ़ा है कि एक स्त्री बिना शादी के बंधन में बंधे मां नहीं बन सकती है. अगर बन गई तो यह घोर पाप है.

“अरे श्लोका, तबीयत तो ठीक है तेरी? इतनी देर से बाथरूम में क्या कर रही है?” बाहर से जब उस की मां अंजू ने दरवाजा खटखटाया, तो वह हड़बड़ा कर उठ खड़ी हुई.

‘नहींनहीं, मां को नहीं पता चलना चाहिए कि मैं… प्रेग्नेंट हूं. अगर उन्हें पता चल गया तो, तो… वे मेरी जान ही ले लेंगी,’ किट को अपनी मुट्ठी में दबाते हुए श्लोका के मुंह से किसी तरह से आवाज निकली, “मां, मैं क… कपड़े बदल रही हूं. आती हूं न… आप जाओ.”

‘ये लड़की भी न. एक तो कालेज से इतनी लेट आई है और आते ही बाथरूम में पता नहीं क्या कर रही है इतनी देर से,’ भुनभुनाते हुए अंजू वहां से चली तो गईं, लेकिन अब श्लोका को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे. उस का तो दिमाग ही जैसे ठप पड़ गया.

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