दिशा ने राहत की सांस तो ली ही साथ ही अपना लाइफस्टाइल भी बदलने का फैसला किया. यह सोच कर डर गई थी कि परिमल जैसा कोई और उस की जिंदगी में आ गया तो समाज में उस की इज्जत नहीं रहेगी.
उस के दुश्चरित्र होने की बात पापा तक पहुुंच जाएगी तो उन की नजर में वह बुरी तरह गिर जाएगी. पापा उसे इतना चाहते थे कि हर तरह की छूट दे रखा था. उस के कहीं आनेजाने में कोई पाबंदी नहीं थी. यहां तक कि उन्होंने कह दिया था कि यदि उसे किसी लङके से प्यार हो गया तो उसी से शादी कर देंगे, बशर्ते लङका अमीर परिवार से हो.
मम्मी नहीं थी. 7 साल पहले गुजर गई थी. भाभी अपनेअपने में मस्त रहती थी. किसी से उस का कोई लेनादेना नहीं था. उस का एक ही बेटा था जो 10 वर्ष का था. उसे बोर्डिंग स्कूल में डाल कर उस की जिम्मेदारी से मुक्त हो गई थी. वह कालेज में अध्यापिका थी.
दिशा जब 12वीं में पढ़ती थी तो एक लङके के प्रेम में आ कर अपना सर्वस्व सौंप दिया था. नायाब सुख से परिचित हुई तो उसे ही सच्चा सुख मान लिया. फिर बेखौप हो कर उसी रास्ते पर आगे बढ़ती गई. नएनए साथी बनते गए और छूटते गए. किसी एक की हो कर रहना ही नहीं चाहती थी. कभी किसी लङके ने भी ताउम्र उस के साथ रहने की ख्वाहिश नहीं की थी.
पहली बार परिमल ने ही शादी की बात की थी और उसे खूब बदनाम भी किया था. ऐसे में परेशान होना लाजिमी था. वह बदनामी की जिंदगी नहीं जीना चाहती थी. इसलिए जल्दी ही परिमल को अपनी जिंदगी से किनारा किया और जल्दी ही वरुण के साथ परिणय सूत्र में बंधने का फैसला किया.