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खुशी से दिशा के पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे. इधरउधर चहक रही थी. झूमझूम कर सहेलियों से बात कर रही थी. दरअसल, मानस से उस की मंगनी जो होने वाली थी. समारोह शहर के नामजद होटल में था. रात के 9 बज गए थे. उस के सारे मेहमान आ चुके थे. सहेलियां भी आ चुकी थीं. पर मानस और उस के घर वाले अब तक नहीं आए थे. देर होते देख उस के पापा घबरा गए. दिशा को मानस से पूछने के लिए कहा तो उस ने झट से उसे फोन लगाया. मानस ने बताया कि ट्रैफिक में फंस गया है. 20-25 मिनट में पहुंच जाएगा.

दिशा ने राहत की सांस ली. न जाने क्यों मानस के आने में देर होते देख लगने लगा था कि कहीं उसे कोई नई जानकारी तो नहीं मिल गई है. पर ऐसी बात नहीं थी, वह आ रहा था.

अचानक उस के मोबाइल की घंटी बज उठी. "हेलो..." कहा तो परिमल की आवाज आई, ‘‘2 दिन पहले ही जेल से रिहा हुआ हूं. पता किया तो मालूम हुआ कि आज तुम्हारी मंगनी है."

उधर सहेलियां उसे ढूंढ़ रही थीं. एक ने पूछ लिया, ‘‘कहां चली गई थीं? पापा पूछ रहे थे.’’

स्थिति संभालते हुए उस ने बाथरूम जाने का बहाना बना दिया. पापा को भी बता दिया. फिर राहत की सांस लेते हुए सोफे पर बैठ गई. उसे विश्वास था कि परिमल अब कभी परेशान नहीं करेगा और मानस के साथ जिंदगी आराम से गुजर जाएगी.

परिमल से दिशा की पहली मुलाकात कालेज में उस समय हुई थी जब वह बीटेक कर रही थी. परिमल भी उसी कालेज से बीटेक कर रहा था. उस की पर्सनैलिटी पर मुग्ध हुए बिना न रह सकी थी वह. लंबेचौड़े कदकाठी का गोरा, स्मार्ट और हैंडसम था परिमल.

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