‘‘आई लव यू टू, ज्योति,’’ प्रकाश ने उस की आंखों को चूम कर कहा.
‘‘आई लव यू, प्रकाश,’’ ज्योति उस के कान में फुसफुसा उठी.
‘‘तुम मु झ से कभी दूर न होना, प्लीज,’’ प्रकाश बोला.
‘‘यह कभी नहीं होगा,’’ यह कह कर ज्योति प्रकाश की आगोश में समा गई थी.
निशा ने शयनकक्ष में घुसते ही प्रकाश से झगड़ने के अंदाज में पूछा, ‘‘लंच के बाद औफिस से कहां गए थे आप?’’
‘‘क्यों जानना चाहती हो?’’ प्रकाश ने भावहीन लहजे में उलटा सवाल किया.
‘‘तुम्हारी पत्नी होने के नाते मु झे यह सवाल पूछने का अधिकार है.’’
‘पत्नी के अधिकार तुम कभी नहीं भूलीं और अपने कर्तव्यों के बारे में कभी प्रेम से सोचा ही नहीं तुम ने,’ प्रकाश बहुत धीमे स्वर में बुदबुदाया.
‘‘मुंह ही मुंह में क्या बड़बड़ा रहे हो, अगर गालियां देनी हैं तो सामने जोर से दो,’’ निशा चिढ़ उठी.
‘‘मैं गाली नहीं दे रहा हूं तुम्हें,’’ प्रकाश ने गहरी सांस छोड़ कर कहा.
‘‘कहां गए थे आप लंच के बाद?’’ निशा ने अपना सवाल दोहराया.
‘‘तुम्हें अच्छी तरह पता है मैं कहां गया था,’’ प्रकाश बोला.
‘‘उसी चुड़ैल ज्योति के पास?’’ निशा ने विषैले अंदाज में पूछा.
प्रकाश ने जब काफी देर तक उसे कोई जवाब नहीं दिया तो निशा क्रोधित हो कर बोली, ‘‘ऐसे चुप्पी मारने से काम नहीं चलेगा, यह आप सम झ लीजिए कि जवान होता बेटा कालेज जाने की तैयारी कर रहा है. लड़की जवान हो गई है तुम्हारी और तुम्हें खुद को इश्क करने से फुरसत नहीं है. क्यों अपने और हम सब के चेहरों पर कालिख पुतवाने का इंतजाम कर रहे हैं आप?’’