मजबूरियां: ज्योति और प्रकाश के रिश्ते से निशा को क्या दिक्कत थी
वह बेहद दुखी व कांपती आवाज में बुदबुदा उठी, ‘‘तुम खुशकिस्मत हो, प्रकाश. तुम्हें जीवन के एक मोड़ पर ज्योति का सच्चा प्यार मिला तो सही. मैं बदकिस्मत न तुम्हें प्रेम कर पाई, न तुम्हारा प्यार पा सकी.