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नील उस की बात का कोई उत्तर नहीं दे पाई. वे दोनों निशब्द आगे बढ़ते गए. चारों ओर प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा था. वह उसे आत्मसात करने का प्रयत्न करने लगी.

‘‘दीदी, देखो यह ट्यूबवैल. याद है, यहां हम नहाया करते थे. यहां से देखो तो जहां तक नजर आ रहा है वह पूरी जमीन  अपनी है. यह देखो गेहूं, सरसों के खेत, यह मटर तथा गन्ने के खेत. यहां से गन्ने वीरपुर स्थित शूगर फैक्टरी में जाते हैं. देखो, गन्ने ट्रकों पर लादे जा रहे हैं. दीदी, गन्ना खाओगी?’’ अचानक नील ने पूछा.

‘‘हां, क्यों नहीं.’’

छवि को गन्ना चूसना बेहद पसंद था. शहर में भी मां गन्ने के सीजन में गन्ने मंगा लेती थीं. वह और प्रियेश आंगन में बैठ कर आराम से गन्ना चूसा करते थे. अब जब गन्ने के खेत के पास खड़ी है तब बिना गन्ना चूसे कैसे आगे बढ़ सकती है. नील ने गन्ना तोड़ा और वे दोनों गन्ने का स्वाद लेने लगीं. गन्ने की मिठास से मन की कड़वाहट दूर हो गई. घर लौटने से पूर्व  उस ने प्राकृतिक सौंदर्य को कैद करने के लिए कैमरा औन किया ही था कि कुछ लोगों के चिल्लाने व एक औरत के भागने की आवाज सुनाई दी. उस ने नील की ओर देखा.

‘‘दीदी, यह औरत बालविधवा है. इस के देवर के घर बच्चा पैदा हुआ था. पर कुछ ही दिनों में वह मर गया. उस के देवर ने इसे यह कह कर घर से निकाल दिया कि यह डायन है, इसी ने उस के बच्चे को खा लिया है. तब से यह घरघर मांग कर खाती है और इधरउधर घूमती रहती है. बच्चे वाली औरतें तो इसे अपने पास फटकने भी नहीं देतीं. आज किसी बच्चे से अनजाने में टकरा गई होगी, जिस की वजह से इसे पीटा जा रहा है,’’ नील ने उस की जिज्ञासा शांत करने का प्रयत्न किया.

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