इस का एक कारण यह भी था कि ज्योति के घर में ऐसा कोई अतिरिक्त कमरा नहीं था, जहां वे दोनों पौलीटैक्निक की पढ़ाई संजीदगी से कर सकें, जबकि हरीश और प्रियंका को उस के पिता ने अलगअलग कमरे दे रखे थे. और उस का घर भी ज्योति और जुगल के घर से बड़ा था.
समय के साथसाथ ज्योति और प्रियंका की पढ़ाई आगे बढ़ती रही. दोनों की स्कूल में तो मुलाकातें होतीं, पर एकदूसरे के घर दोनों न पहुंच पातीं.
3 साल से ज्यादा का समय बीत चुका था. दोनों इंटर फाइनल का रिजल्ट स्कूल बोर्ड पर देख कर अपनीअपनी साइकिलों से लौट रही थीं, तो अपने रिजल्ट से उदास प्रियंका के विशेष अनुरोध पर वह उस के घर रुक गई.
बाहरी ड्राइंगरूम में बैठ कर ज्योति ने जब प्रियंका से पूछा, "मुझे बड़ा आश्चर्य है कि तू एक्जाम में फेल हो गई?
"तेरे भाई जुगल से प्यार के उतावलेपन के कारण मैं फेल हो गई. मेरा पढ़नेलिखने में बिलकुल भी मन नहीं लगा और हम दोनों एकदूसरे में समा जाने को इतने आतुर हो गए कि मैं ने प्यार में जुगल को पूरी तरह सौंप दिया."
"तू भी अजीब लड़की है, ऐसे कैसे तू ने अपना सर्वस्व शादी से पहले किसी को सौंप दिया."
इसलिए कि एक तो वह तेरा भाई था, जिस पर मुझे तुझ से ज्यादा भरोसा हो गया था. दूसरे, मैं उसे अपना दिल दे कर यह सोच चुकी थी कि जब भी शादी करूंगी तो उसी से. और उस ने भी मुझ से वादा किया था.
"मेरा भाई था तो क्या...?कभी सोचा नहीं कि तेरी उम्र क्या है और इस उम्र का प्यार क्या गुल खिला सकता है. ये बता कि जब तुम दोनों एकदूसरे के समीप होते थे, तो उस समय हरीश कहां होता था."
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