प्रियंका अपने कमरे में ज्योति को बिठा कर उस के लिए कुछ खानेपीने का सामान लाने कमरे से बाहर चली गई, तो हरीश तेजी से उस कमरे में घुस आया. हरीश के उस समय इंटर के एक्जाम चल रहे थे. आते ही वह बोला, “ज्योति, तुम बहुत सुंदर हो. पता नहीं क्यों जब भी तुम्हें देखता हूं, तो मन तुम्हें सीने से लगाने को करता है.”
“तुम पढ़ाई करते हो या ये सब सोचते रहते हो. तुम्हें अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में लगाना चाहिए. ज्योति ने समझाना चाहा, तो वह बोला, “ज्योति, पढ़ाई के साथसाथ जिंदगी के मजे भी लेने चाहिए.”
“मजे लेने से क्या मतलब है तुम्हारा…?” ज्योति के ऐसा पूछने पर वह बिलकुल उस के करीब आया और उस के कान के पास झुक कर धीरे से बोला, “मजे लेने का मतलब है…” ऐसा कहते हुए उस ने ज्योति को अपने सीने में भींच कर उस के दोनों होंठों को अपने होंठों से गीला कर दिया.
ज्योति एकदम से घबरा गई थी. उस ने जोर से हरीश को धक्का दिया और बोली, “ये क्या कर रहे थे तुम? शर्म नहीं आती…”
“तुम्हें बता रहा था कि मजे…”
तभी प्रियंका एक ट्रे में कुछ खाने का सामान और पानी का गिलास लिए आ गई.
उस के आते ही हरीश ने बात बदल दी, “हां, तो मैं बता रहा था कि मजेदार सब्जेक्ट है ‘मैथ’. तुम 9वीं में मैथ अवश्य लेना,” इतना कह कर उस ने प्रियंका की पढ़ाई वाली मेज पर पड़ा स्केल उठाया और तेजी से कमरे से बाहर निकल गया.
ये हरकत हरीश ने इसलिए की कि प्रियंका समझे कि वह कमरे में उस का स्केल लेने आया था.
उस के बाद ज्योति ने प्रियंका के घर जाना ही बंद कर दिया, जबकि इस से पहले जब भी प्रियंका स्कूल से लौटते समय उस से अपने घर चलने को कहती थी तो वह कभी मना नहीं करती थी. कुछ देर उस के घर में रुक कर ही अपने घर जाती थी.
फिर 9वीं में एडमिशन के बाद दोनों के सैक्शन बदल गए थे, तो इस कारण भी दोनों का घर आनाजाना न के बराबर हो गया था. पर, ज्योति और प्रियंका के भाइयों के इंटर करने के बाद पौलीटैक्निक में एक ही विषय लेने के कारण दोस्ती बढ़ गई थी. अधिकतर जुगल ही हरीश के घर संयुक्त रूप से पढ़ाई करने के कारण पहुंच जाता था.