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“अरे नहीं, मैं सीरियस हूं. अच्छा शाम में मेरे साथ औफिस चलना, तो खुद देख लेना,” सिराज ने उठते हुए कहा और किसी होटल से खाना और्डर करने लगा.

‘पागल हो गया है ये,’ मैं ने दबी दबी हंसी के साथ आबिद के कान में कहा तो वह भी खीखी करने लगा. फिर शाम में हम उस के साथ उस के औफिस गए. वहां सचमुच में बड़ेबड़े पोस्टर लगे थे जिस में सिराज एक तांत्रिक के रूप में नज़र आ रहा था. और तो और, वहां बहुत से लोग भी जमा थे. ये सब देख कर हम तो दंग ही रह गए.

फिर सिराज ने तांत्रिकों वाला वेश बनाया और अपना आसन ग्रहण किया. अपने एक चेले को बुला कर उस ने अपने पहले ‘कस्टमर’ को अंदर भेजने को कहा. एक अधेड़ उम्र का व्यक्ति अंदर आया. अंदर आते ही उस ने सिराज बाबा का हाथ चूम कर अपनी आंखों पर लगाया और सामने बैठ गया.

“हां, बोलो इरफ़ान, कुछ फायदा हुआ या नहीं,” सिराज ने अपनी आवाज़ को थोड़ा भारी बनाते हुए उस आदमी से पूछा. “बाबा, इस बार तो आप की तावीज़ ने कमाल ही कर दिया. इस बार शेयर बाजार में मुझे पूरे एक लाख रुपयों का फायदा हुआ,” इरफ़ान ने एक बार फिर बाबा का हाथ चूम लिया और अपनी आंखों पर लगा लिया.

“बहुत अच्छे. इस जुमेरात को 3 लोगों को खाना खिला देना. ध्यान रहे, खाना उन को सूरज डूबने के ठीक 18 मिनट बाद ही कराना है. थोड़ा भी आगेपीछे नहीं, वरना नुकसान उठाना पड़ सकता है,” सिराज ने इरफ़ान को हिदायत देते हुए कहा और एक तावीज़ उस को दे दिया.

“जैसा आप कहें बाबा. यह एक छोटा सा नज़राना मेरी तरफ से,” इरफ़ान ने अपनी जेब से सौ रुपए के नोटों की एक गड्डी निकाली और सिराज के क़दमों में रख दी और सिर झुकाए बाहर चला गया. एक झटके में 10 हज़ार रुपयों की कमाई देख हमारा तो मुंह खुला रह गया, जबकि सिराज ने अपनी बायीं आंख दबा कर हमें अपने दांत दिखाए.

“यह क्या मामला है भाई. तुम क्या शेयर बाजार एक्सपर्ट बन गए हो,” आबिद ने धीमी आवाज़ में पूछा. “अरे कोई एक्सपर्ट नहीं हूं. पिछले 4 महीनों से इस को शेयर बाजार में घाटा हो रहा था. कभी न कभी तो फायदा होता ही. वह इस बार हो गया,” सिराज ने हंसते हुए कहा. “और 4 बार से आ कर इस ने तुम्हारे दांत नहीं तोड़े,” मैं ने हंसते हुए कहा.

“मैं उस को हर बार एक तावीज़ देता हूं और साथ में कोई ऐसी शर्त रख देता हूं जो पूरी करनी थोड़ी मुश्किल हो. फिर उस में कोई कमी निकाल कर अगला तावीज़ दे देता हूं. जैसे इस बार इस को मैं ने बोला, ठीक 18 मिनट बाद खाना खिलाना. अगर इस को घाटा हुआ तो मैं बोल दूंगा तुम ने ज़रूर 1-2 मिनट आगेपीछे कर दिया होगा. और फिर इस को अगली तावीज़ दे

दूंगा,” सिराज ने गुलाबजामुन मुंह में डालते हुए कहा. “और जब इस के पास पैसे ख़त्म हो जाएंगे, तो फिर?” आबिद ने पूछा. “तो मेरे पास कौन सी भक्तों की कमी है. बाहर देखो, कितने बैठे हैं इंतज़ार में. 10 में से 2-4 लोगों के काम तो खुद भी हो ही जाते हैं, फिर वे दस और लोगों को ले आते हैं,” सिराज ने दांत दिखाते हुए कहा.

“आज के ज़माने में कोई इतना बेवक़ूफ़ कैसे हो सकता है,” मैं ने अपना सिर अविश्वास से हिलाते हुए कहा. मुझे तो फिर भी बात कुछ जम नहीं रही थी. “अच्छा रुको, अगले भक्त से मिलते हैं,” सिराज ने मुझे मिठाई का डब्बा देते हुए कहा. उस के पास जो भी आता, कुछ न कुछ खानेपीने का सामान लाता रहता.

इस बार एक आदमी और एक औरत अंदर आए. आते ही आदमी ने सिराज के हाथ चूम कर अपनी आंखों से लगा लिए. शायद बाहर बैठे उस के चेले लोगों को ये सब करने को कहते होंगे. “आइएआइए, क्या परेशानी है आप को?” सिराज ने गंभीर आवाज़ में पूछा.

“बाबा, मेरा नाम सुरेश है और यह मेरी पत्नी कजरी. हमारी शादी को 5 साल हो गए, लेकिन अभी तक हमारी कोई संतान नहीं है. हम कई मंदिरों व दरगाहों पर भी गए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बड़ी उम्मीद ले कर आप के पास आए हैं.” उस आदमी ने बड़ी दयनीय सी आवाज़ में कहा.

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