‘मुझे नहीं सोना है.’ ‘निती, डोन्ट बी बैड गर्ल. जाओ, सो जाओ,’ कहते हुए मम्मा उसे गोद में उठा कर बिस्तर पर सुला आईं.

यह तो रोज की ही बात हो गई थी. उसे कितनी बातें मम्मापापा को बतानी होतीं पर उन के पास समय ही न होता. धीरेधीरे निती ने मम्मापापा से कुछ कहना छोड़ दिया. उस ने अपनी एक गुड़िया को अपनी दोस्त बना लिया. अब उसे जो भी बात बतानी होती, अपनी गुड़िया से करती. उस ने गुड़िया का नाम चिंकी रखा था. वह स्कूल से आ कर रोज चिंकी को स्कूल की सारी बातें बताती. कभी कहती, ‘पता है चिंकी, मेरे क्लास में जो तनुज पढ़ता है, बहुत गंदा है. जब मैं खेलती हूं न, तो मुझे वह धक्का दे देता है. मेरी पैंसिल भी चुरा लेता है. तुम उस से कभी बात मत करना.’

फिर चिंकी का सिर स्वयं ही हिलाती, मानो चिंकी ने कहा हो नहीं. कभी कहती, ‘चिंकी, तुम मेरी बैस्ट फ्रैंड हो. स्कूल में मायरा भी मेरी फ्रैंड है पर वह कभी मेरे साथ खेलती है तो कभी मुझे छोड़ कर सामी के साथ खेलने लगती है. पर तुम तो केवल मेरे साथ रहती हो, मेरी सारी बातें सुनती हो. आय लव यू.’ और निती उसे अपने वक्ष से लगा लेती.

वह रात को सोती तो चिंकी के साथ, अपना होमवर्क करती तो चिंकी को पास बैठा कर. रात में उस की नींद खुलती तो सब से पहले उसे टटोल कर अपने हृदय से चिपका लेती.

एक दिन निती स्कूल से लौटी तो अपने कमरे में नित्य की तरह वह चिंकी को लेने गई. पर उसे चिंकी मिली ही नहीं. उस ने बहुत ढूंढा, फिर दौड़ कर रानी आंटी के पास गई, ‘रानी आंटी, मेरी चिंकी नहीं मिल रही, क्या आप ने उसे देखा है?’

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