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गुड्डी की शादी में सबकुछ अच्छी तरह निभ गया और वो ब्याह कर अपने ससुराल विदा हो गई. इसी वर्ष गौतम ने इंजीनियरिंग कालेज में दाखिला लिया. वो आगे की पढ़ाई के लिए आईआईटी, मद्रास चला गया. एकाएक घर सूनासूना हो गया.

हालांकि चेन्नई से गौतम का फोन बराबर आता और हम सब से बात करने के बाद वो अपनी दायम्मा से बात करना नहीं भूलता. अपनी बातों से वो अपनी दायम्मा को खुश रखने का प्रयास करता. तथापि मैं ने गौर किया कि गिल्लू के चले जाने से उत्तमा मईया फिर से खोईखोई सी रहने लगी थी. एक बेटा उस ने बचपन में खो दिया था. दूसरे से प्रीत लगाई तो वो पढ़ने के लिए बाहर चला गया.

मैं ने महसूस किया कि इस सुनसान घर में अब उस का जी नहीं लग रहा था.

बिसेसर से कह कर मैं ने उसे कुछ दिन के लिए अपने घर ले जाने को कहा, ताकि जगह बदलने से शायद उस का मन बहल जाए. किंतु उस ने दृढ़ता से खुद ही मना कर दिया.

अगले सप्ताहांत सेमेस्टर अवसान पर गिल्लू घर आने वाला है. इस सूचना ने उस की दायम्मा में मानो नए जीवन का संचार कर दिया. अपने ‘बेटे’ को क्याक्या बना कर खिलाना है, बस इसी में वो व्यस्त हो गई. हम लोगों से अधिक उसे ही गौतम के आने का इंतजार है.

भले ही मेरे बेटे का नाम गौतम था, किंतु बुद्ध सा निष्ठुर तो वो कदापि न था. जब दायम्मा के प्रति उस के हृदय में इतनी करुणा थी, तो इस परिवार के प्रति उस के प्रेम का तो कोई पारावार ही नहीं था, ऐसा मैं मानता था.

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