सुरेश बाबू ने हामी भर दी. एक सुबह दोनों चल दिए. वहां जा कर देखते हैं कि तमाम निर्माण कार्य हो चुके हैं. उन के प्लाट के पीछे की तरफ ही एक बहुत विशालकाय भवन बन चुका था.