लेखक- शेख विकार अहमद
सुबह से ही सुरैया का जी मिचलारहा था, इसीलिए सुबह 6 बजे
उठ कर दोनों बड़े लड़कों का टिफिन तैयार कर उन्हें कालेज भेजने के बाद वह हमेशा की तरह अपने रोजाना के कामों में नहीं लग पाई थी. कुछ अनमनी सी वह बिस्तर पर आ कर लेट गई. काफी देर इंतजार करने के बाद अनवर ने उसे आवाज दी थी. वे सम?ा गए थे कि उस की तबीयत कुछ नासाज है.
अनवर एक सम?ादार पति और जिम्मेदार पिता थे. वे जानते थे कि सुरैया फजर की नमाज पढ़ने के बाद से जो रसोई में घुसती है तो उसे समय का ध्यान ही नहीं रहता. एक के बाद एक अपना बिस्तर छोड़ उस पर हुक्म पर हुक्म फरमाता जाता है. बेचारी, सब का खयाल रखतेरखते ही निढाल हो जाती है.
अनवर का भरापूरा परिवार था.
2 जवान लड़के थे जो इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. 10वीं में पढ़ने वाली एक लड़की भी थी. यद्यपि सुरैया बच्चों की सगी मां नहीं थी मगर उस के व्यवहार को देख कर कोई सोच भी नहीं सकता कि वह सौतेली मां है. 6 साल पहले जब अनवर की पहली बीवी का इंतकाल हुआ था तब उन के मन में बच्चों के लिए सौतेली मां लाने का इरादा बिलकुल नहीं था.
3 साल पहले की बात है. उन की अम्मा इस कदर बीमार पड़ीं कि खाट पकड़ ली. उस समय अम्मा ने अनवर को पास बुला कर कहा था, ‘मु?ो नहीं लगता कि अब मैं इस बीमारी से उबर पाऊंगी. तुम्हारी लड़की अब जवान हो रही है. उसे ऐसी उम्र में मां की सख्त जरूरत होगी. मेरे मरने से पहले तुम्हें शादी करनी होगी.’
मां की बातों का अनवर के दिल व दिमाग पर गहरा असर हुआ और उन्होंने उन का दिल रखने के लिए शादी करना कुबूल कर लिया. वैसे, दिल से वे कतई राजी न थे. उस समय उन का बड़ा लड़का 12वीं कक्षा में पढ़ रहा था. अब जब बेटे शादी करने लायक हो रहे हैं तो खुद का विवाह करना अनवर को उचित नहीं लग रहा था मगर जब अम्मा ने बेटी सुमैया का वास्ता दिया तो उन्हें भी एहसास हुआ कि अम्मा जो कह रही हैं वह सच है. आखिर, लड़की के सब से करीब उस की मां ही तो होती है. अब तक तो अम्मा मां की कमी को किसी हद तक पूरा करने की कोशिश करती आई थीं. अगर अम्मा को सचमुच कुछ हो गया तो उस का क्या होगा.
बेटी की खातिर शादी के लिए उन्होंने हां कर दी और फिर उन की इस रजामंदी का अम्मा पर ऐसा असर हुआ कि उन की बीमारी ही भाग गई. वे खाट से ऐसे उठीं जैसे उन में नई जान फूंक दी गई हो. अनवर की शादी सुरैया से हो गई. सुरैया का पहला तलाक हो चुका था. कुछ दिनों तक वे अपने बच्चों और उन की सौतेली मां के नए रिश्ते को काफी गौर से परखने की कोशिश करते रहे. उन का सौतेली मां को ले कर मन में जो डर बना हुआ था वह गलत साबित हुआ. सुरैया एक अच्छी मां साबित हुई. इतनी अच्छी कि बच्चे अपनी सगी मां की मौत का गम भी जल्दी ही भूल गए.
सुरैया की बच्चों के लिए मुहब्बत देख कर अनवर मन ही मन बहुत खुश थे. वे अकसर सुरैया को खुश करने के लिए बच्चों का जिक्र ‘तुम्हारे बच्चे’ कह कर ही करते ताकि उसे भी यह याद न रहे कि वह बच्चों की सगी मां नहीं है.
आज जब अनवर को लगा कि सुरैया की तबीयत ठीक नहीं है तो उन्होंने उसे जगाना उचित नहीं सम?ा और औफिस जाने से पहले यह जानने के लिए कि अगर वह जाग रही हो तो तबीयत के बारे में पूछ लिया जाए, उन्होंने उसे आवाज दी थी. सुरैया जैसे हड़बड़ा कर उठी. उठते ही उस ने घड़ी की तरफ देख कर कहा, ‘‘हाय, साढ़े 7 बज गए. आप ने जगाया क्यों नहीं मु?ो.’’
‘‘कोई बात नहीं. लगता है आज
आप की तबीयत ठीक नहीं है,’’ अनवर ने कहा.
‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं. बस, जरा जी मिचला रहा था. मैं अभी लंच तैयार किए देती हूं.’’