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डाइनिंग टेबल पर मलाई कोफ़्ता और बटर-पनीर देख कर सौम्या बोली, "हमें तो उम्मीद थी, नरगिसी कोफ़्ते और बटर-चिकन मिलेगा, यहां तो सब वेज है."

"वह, दरअसल, पता नहीं था न कि आप..." ज़ुनैरा की बात अधूरी ही रह गई.
"अरे, सारे मुसलिम्स नौन वैजिटेरियन होते हैं जैसे यह सच नहीं है, वैसे ही माथे पर बिंदी लगाए हर लड़की वीगन हो, यह भी ज़रूरी नहीं," सौम्या हंस दी.

"जी, पर वैज डिश सेफ़ रहती है, डाउट की कंडीशन में," ज़ुनैरा भी मुसकराई.

"यह बात तो एकदम ठीक है," ज़रीना बेगम उस की क़ायल हो गईं.

"बहन नाउम्मीद मत करना, बड़ी आस ले कर आई हूं," जाते वक़्त उन्होंने मिसेज़ इक़बाल से कहा तो उन्होंने गर्मजोशी से जवाब दिया, "तमाम उम्मीदें कुदरत से रखें. फिर मिलेंगे.”

उस के बाद बिजली की फ़ुरती से सारे मामले तय हो गए. दानिश की तफ़्तीश के बाद उधर से ओके सिग्नल पास होते ही ज़रीना बेग़म दानिश को बताने को बेक़रार हो गईं.

दानिश ने कहा, "मैं तो आप की रज़ा में हमेशा से राज़ी हूं. पर आप तो ख़ुश हैं न? तसल्ली कर ली न? ऐसा न हो वक़्ती तौर की पसंदीदगी, किसी मनमुटाव के बाद नपसंदीदगी में बदल जाए और आप के पैमाने पर वह खरी न उतर पाए और आप के रवैयों में बदलाव आ जाए."

"मेरा कोई पैमाना, कोई शर्त नहीं अब, मेरे बच्चे. बस, तुम दोनों मेरे पास रहो और कुछ नहीं चाहिए. परफैक्ट तो कुछ नहीं होता. बस, मोहब्बत मोटी हो तो हर ऐब पतला नज़र आता है. कुदरत तुम्हें शाद ओ आबाद रखे," मां ने मोहब्बत से उस के सिर पर हाथ फेरा.

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