कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

“कहां हो, वंशा. तुम्हारी प्यारी दीदी का फोन आ रहा है.”

वंशा ने किचन से  निकल कर हंसते हुए कहा, “क्यों, तुम्हारी हिम्मत नहीं हो रही है कि अपनी साली से बात कर लो.”

कमाल ने कानों पर हाथ लगाया और यह देख कर वहां बैठी उन की 20 साल की बेटी कल्कि भी हंस पड़ी, “मम्मी, आप की बहन से पापा को एक खौफ सा आता है. इतना तो पापा किसी हौरर फिल्म से नहीं डरते.”

वंशा ने अपने से 10 साल बड़ी अपनी बहन वरदा को कौलबैक किया. आम ‘हाय हेलो’ के बाद वंशा का मुंह उतर गया. कमाल और कल्कि लगातार उस का उतरा मुंह देख रहे थे.

“अच्छी बात है, ठीक है, बहुत अच्छा,” कह कर फोन रखते हुए वंशा पति और बेटी के पास बैठ गई. उन दोनों ने एकसाथ पूछा, “अब क्या हुआ?”

एक ठंडी सांस ले कर वंशा ने कहा, “जीजू और नेहा के साथ दीदी मुंबई घूमने आ रही हैं 10  दिनों के लिए.”

कमाल और कल्कि को हंसी आ गई. कमाल ने कहा, “परेशान क्यों होती हो? सब मिल कर झेल लेंगे.”

“जो चालाकियां पिछले साल आ कर दिखा कर गई थीं, वही सब फिर नहीं देखी जाएंगी. मुझे बिलकुल सहन नहीं होता है. हमारी अंतर्जातीय शादी पर सब से ज़्यादा बवाल इन्होंने ही मचाया था, अब मुंबई, शिरडी, नासिक के मंदिरों के दौरे के समय हमारा घर इन का ठिकाना बन जाता है. आ कर नचा कर रख देती हैं. एक तरफ इतनी कट्टर हिंदू बनती हैं, दूसरी तरफ अपने मतलब के लिए एक मुसलिम के घर में ऐश भी करनी है.”

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD79
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...