Life Lessons : सरकार चलानी हो, जीवन चलाना हो, परिवार चलाना हो, दफ्तर या दुकान चलानी हो, याद रखो कुछ भी सीधा पूर्व निर्धारित नहीं होता. हर क्षण स्थितियां बदलती हैं, बिगड़ती हैं, बनती हैं. यह वह रस्सी नहीं है जिसे पकड़ कर आप सीधे पहाड़ की चोटी पर पहुंच जाएं. यह वह रास्ता है जिस में सैकड़ों पगडंडियां हैं, हजारों मोड़ हैं और कब कौन सा रास्ता आप को लक्ष्य की ओर ले जाए और कौन सा बीच में फंसा दे, पता नहीं.

जो इस बात को समझ कर अपने लक्ष्य या किसी मुकाम पर पहुंच जाते हैं वे अकसर अपनी गौरवगाथा इस तरह लिखते हैं मानो उन्हें मालूम था कि उन्होंने जो रस्सी पकड़ी, जो पगडंडी चुनी, जिस अवरोध को हटाया उस का अंदाजा उन्हें था. यह केवल संयोग था या उन का परिश्रम. उन्होंने सही रास्ता चुना, हर रुकावट को मेहनत से हटाया. तभी वे लोग प्रधानमंत्री बने, तभी महात्मा गांधी बने, तभी हिटलर बने, तभी मुसोलिनी बने, तभी माओ बने, तभी नेहरू या बराक ओबामा बने.

आम आदमी अकसर ज्ञानियों के चरणों में बैठ कर सही मार्ग पूछते हैं. यह मूर्खता है. मार्ग को तो खुद ढूंढ़ना होता है. ज्ञानी, जो दुकान लगा कर बैठे होते हैं, सिर्फ सपने दिखाते हैं. वे कहते हैं, ‘सही रस्सी ढूंढ़ों, सही रास्ता चुनो, अवरोध को हटाओ.’ पर कैसे, यह उन्हें भी नहीं मालूम. हजारों नहीं, अरबों लोग इन ज्ञानियों के आगे मार्गदर्शन के लिए हाथ फैलाए रहते हैं. अपनी बुद्धि, विवेक, परिश्रम से जो थोड़ाबहुत उन्होंने पाया है, उस को वे उन पर लुटाते रहते हैं और फिर वहीं के वहीं रह जाते हैं.

हर जने में क्षमता है कि वह उस मार्ग को ढूंढ़ सके जो उसे उस के लक्ष्य तक ले जाए. आखिर यों ही मानव ने 5,000 साल पहले बड़ेबड़े निर्माण नहीं कर लिए थे. मेसोपटामिया, इजिप्ट, मोहनजोदड़ो, रोमन साम्राज्य सब मिट्टी से शुरू हुए थे. कोरी मिट्टी, कोरे पत्थरों, कोरी जमीन पर बने विशाल स्ट्रक्चर आज भी भौचक्का कर रहे हैं. उन के निर्माताओं ने सही लक्ष्य चुना. गलतियां की होंगी पर उन्हें सुधारा. वे हमारे लिए अद्भुत धरोहर छोड़ गए हैं.

पिछले 200 सालों में विज्ञान की इस कला ने एक नया मार्ग दिखाया है. टेढ़ी जगह को भी सीधा करो. ऊंचे पहाड़ों में सड़कें बनाओ, फिर उन में गुफाओं को बना कर सड़कों को सीधा करो. पानी पर तैरो, फिर जहाज बनाओ. विज्ञान ने हमेशा नई रस्सी बनाई है. पुरानी रस्सी पर चल कर जहां तक पहुंचे, उस से आगे का रास्ता विज्ञान ने बनाया है. हर जना विज्ञान से सीख सकता है कि कुछ भी अपनेआप नहीं होता. कुछ पकता नहीं, पकाया जाता है. कुछ बनता नहीं, बनाया जाता है.

आप की वह इच्छा कहां है जो कुछ बनाने की हो. नहीं है, तो उसे ढूंढ़ो, उसे पैदा करो. जिस समाज ने कोरी जमीन पर सड़कें बनाईं, वह आगे रहता है. अमेरिका 400 साल में वहां पहुंचा हुआ है जहां एशिया, यूरोप या अफ्रीका के 5,000 साल पुराने देश नहीं पहुंचे. अमेरिका में दरअसल कुछ नया करने की इच्छा थी. आज भी हम पुरानी रस्सी को ढूंढ़ रहे हैं. सो, पक्का है कि पहाड़ से गिर कर खाई में गिरेंगे. Life Lessons

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