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औफिस के गेट पर सारा सीनियर स्टाफ उन का स्वागत करने के लिए खड़ा था. आज वे महीने भर बाद औफिस आए थे. जैसे ही वे कार से उतरे, गार्ड ने तुरंत व्हीलचेयर दरवाजे के पास लगा दी. कितने ही लोग उन की मदद करने के लिए आगे बढ़े पर उन्होंने हाथ से मना कर दिया. ड्राइवर ने थोड़ा सहारा दिया और वे व्हीलचेयर पर बैठ गए. व्हीलचेयर आराम से ऊपर जा सके, इस के लिए सीढि़यों के पास रैंप बना दिया गया था.

मेहुलजी ने आगे बढ़ कर उन के गले में फूलमाला डालते हुए कहा, ‘‘वैलकम, सर.’’

‘‘अरे मेहुलजी, आप कब से ऐसी औपचारिकताओं में विश्वास करने लगे. अपने ही तो औफिस में आया हूं. बस, आया 1 महीने बाद हूं, फिर क्यों मुझे पराया बना रहे हैं?’’ उन्होंने थोड़ा मजाकिया अंदाज में कहा तो मेहुलजी मुसकरा उठे, ‘‘सर, तमाम मुश्किलों के बीच भी हंसीमजाक सिर्फ आप ही कर सकते हैं, वरना...’’

‘‘मेहुल, काम तो ठीकठाक चल रहा है न?’’ उन्होंने बीच में ही उन की बात काट दी.

‘‘जी सर, सब आप के आदेशानुसार चल रहा है,’’ मेहुल अब थोड़ा खिसिया गए थे और अपनी भूल का भी उन्हें एहसास हो गया था कि इस तरह की बात उन्हें नहीं करनी चाहिए थी.

रिसैप्शन पर नई रिसैप्शनिस्ट और नए पीबीएक्स बोर्ड को देख उन्होंने राजन साहब की ओर प्रश्नभरी निगाहों से देखा तो वे तुरंत बोले, ‘‘सर, पुराना सिस्टम खराब हो गया था, इसलिए नया पीबीएक्स खरीदा है और यह लड़की इस सिस्टम को औपरेट करने में माहिर है, इसलिए इसे अपौइंट किया है, लेकिन पुरानी रिसैप्शनिस्ट नेहा को नौकरी से हटाया नहीं है, सर. हमें पता है कि आप किसी को भी नौकरी से निकालना पसंद नहीं करते हैं, इसलिए उसे दूसरे डिपार्टमैंट में शिफ्ट कर दिया गया है.’’

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