विश्वविद्यालय का हिंदी पत्रकारिता विभाग इस साल मुंशी प्रेमचंद की जयंती धूमधाम से मना रहा था। 31 जुलाई को प्रेमचंद की जयंती थी, लेकिन 1 जुलाई से ही प्रेमचंद के रचना संसार पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जाने लगा था।
उन की कहानियों पर आधारित एक भाषण प्रतियोगिता का आयोजन शहर के राजभवन मार्ग में स्थित रवींद्र भवन में किया जाना था, क्योंकि वहां के औडिटोरियम में 250 लोगों के बैठने की क्षमता थी। चूंकि इस प्रतियोगिता के विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी इसलिए लगभग 225 से 250 प्रतियोगियों के इस प्रतियोगिता में शामिल होने की संभावना थी।
भाषण प्रतियोगिता की तैयारी जोरशोर से की जा रही थी। अखबारों में रोज विज्ञापन दिए जा रहे थे। महाराणा प्रताप नगर (एमपी नगर), न्यू मार्केट, ऐयरपोर्ट, रेलवे व बस स्टैंड जैसे प्रमुख जगहों पर कार्यक्रम के होर्डिंग्स लगाए गए थे। औटो और बस के पीछे भी बड़ी संख्या में पोस्टर चिपकाए गए थे। स्थानीय टीवी चैनलों में भी इस प्रतियोगिता के विज्ञापन दिए जा रहे थे।
मनीष को इस प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था। मनीष भोपाल के कवि सम्मेलनों, मुशायरों और सम्मेलनों की धड़कन था। उस के बिना कोई भी कार्यक्रम अधूरा माना जाता था। चूंकि मनीष ने इसी विश्वविद्यालय से ही पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की थी, इसलिए विश्वविद्यालय के कुलपति ने बड़े अधिकार से मनीष को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था।
मनीष भी बहुत खुश था, क्योंकि जिस विश्वविद्यालय से उस ने पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की थी, वहां वह मुख्य अतिथि बन कर जाने वाला था। मनीष भोपाल में सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक में उपमहाप्रबंधक (डीजीएम) के पद पर कार्यरत था, लेकिन साथ में वह 12 वर्षों से स्वतंत्र लेखन भी कर रहा था।
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