जौन अपूर्व का दोस्त है, कहें तो बेस्ट फ्रैंड. जब अपूर्व यहां अमेरिका आया था तब जौन ही था जिस ने उसे पूरी तरह से सपोर्ट किया था और जब उस का ऐक्सिडैंट हुआ, तब जौन ही था जिस ने पूरी रात जागजाग कर उस की सेवा की थी.
“ओके ओके, सौरी. अब यह बताओ कि बात क्या है क्योंकि इतना हंसते तो मैं ने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा?” जौन बोला.
“वह इसलिए मेरे दोस्त, कि मैं हमेशा के लिए अपनी मां के पास इंडिया जा रहा हूं,” बोलते हुए अपूर्व के चेहरे पर अजीब सी खुशी झलक रही थी. लेकिन अपूर्व के इंडिया जाने की बात सुन कर जौन एकदम से उदास हो गया.
“अब इस में इतना उदास होने वाली क्या बात है? और इंडिया जा रहा हूं, दुनिया से तो नहीं,” अपूर्व बोला तो जौन ने उस के मुंह पर हाथ रख दिया कि ‘प्लीज, ऐसी बातें वह अपने मुंह से न निकाले.’
“तो फिर खुश हो जाओ. और एक अच्छा सा हिंदी गाना सुना दो.” जौन भले ही हिंदी गाने में अटकता था पर उसे हिंदी गाना बहुत पसंद था, खासकर, किशोर कुमार और मुकेश दा के गानों का तो वह फैन था.
“अच्छा, एक बात बताओ, तुम्हें सिर्फ अपनी मां से मिलने की खुशी है या फिर कोई और भी है जिस से मिलने की गुदगुदी हो रही है दिल में?” उस की आंखों को पढ़ते हुए जौन हंसा, तो अपूर्व की मुसकराहट निकल पड़ी. “यानी, मैं सही हूं. कोई है न, कोई है न, बोलो? मुझ से मत छिपाओ,” जौन तो उस के पीछे ही पड़ गया.