अपूर्व जब 2 साल का था, तभी टीबी की बीमारी से उस की मां का देहांत हो गया था. फिर उस के पिता ने दूसरी शादी कर ली और जिस से उसे 2 बच्चे हुए. अपूर्व की सौतेली मां उसे बिलकुल भी प्यार नहीं करती थी. संध्या मैडम को यह भी पता था कि वह उस के साथ नौकरों जैसा व्यवहार करती है. लेकिन अपूर्व के पिता सबकुछ जानते हुए भी इसलिए कुछ बोल नहीं पाते क्योंकि, बुरी ही सही पर, खाना तो पकाती है, घर व बच्चों का ध्यान तो रखती है वह.
‘अपूर्व, घर जाने से पहले मेरे पास आना जरा. किताब दे दूंगी तुम्हें. मेरे पास है,’ संध्या मैडम बोलीं, तो अपूर्व ने धीरे से ‘हां’ में सिर हिलाया और फिर किताब में आंखें गड़ा दीं. ‘अच्छा अपूर्व, तुम्हें किस ने बताया कि गांधी जी राहुल गांधी के दादा जी थे, बोलो, डरो मत.’ लेकिन पीछे से फिर सारे बच्चे ‘खीखी’ कर हंसने लगे, तो अपूर्व कुछ बोल नहीं पाया.
संध्या मैडम ने इस बार टेबल पर ऐसा जोर का डंडा मारा कि क्लास में एकदम सन्नाटा छा गया. ‘बेटा, गांधी जी, राहुल गांधी के दादा जी नहीं थे. राहुल गांधी के दादा जी का नाम फिरोज गांधी था और उन की दादी का नाम इंदिरा गांधी, जो देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. ठीक है?’ संध्या अपूर्व को समझा ही रही थी कि तभी लंच ब्रेक हो गया और सारे बच्चे अपनेअपने खाने के डब्बे ले कर बाहर निकल गए. लेकिन अपूर्व वैसे ही अपनी जगह पर बैठा रहा.