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Writer-आशीष दलाल

‘मैं तो अभी छोटा ही हूं न अंकल,' कहते हुए नमन मुसकरा दिया.

‘और भी छोटा.’

‘वो कैसे?’ रोहित की बात सुन कर नमन उलझ गया.

‘वो मैं सिखा दूंगा, पर पहले प्रामिस करो कि इस खेल के बारे में किसी से कुछ भी नहीं कहोगे,’ रोहित ने खड़े होते हुए फिर से नमन को गोद में ले लिया.

‘ओके. प्रामिस सीक्रेट,’ नमन ने अपने दाएं हाथ की उंगली रोहित के बाएं हाथ की उंगली से जोड़ते हुए जवाब दिया.

‘और अगर भूल से भी किसी को बताया, तो भगवान नाराज हो कर तुम्हें श्राप दे देंगे और तुम्हारे यह अंकल मर जाएंगे. फिर उस का पाप तुम्हें ही लगेगा,’ रोहित ने पास ही बेड की तरफ नमन को ले जाते हुए कहा.

‘नहीं कहूंगा अंकल. गौड प्रामिस. चलो न खेलते हैं,’ नमन नए खेल के बारे में जानने को उत्सुक था.

‘तो ठीक है. एक बार छोटे बच्चे की एक्टिंग कर के बताओ. इस बिस्तर पर लेट कर बताओ कि वह कैसे सोता है,’ रोहित ने अपनी गोद से उतार कर नमन को बिस्तर पर बैठा दिया.

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‘ये तो बड़ा ही आसान है,’ नमन चहकते हुए बिस्तर पर लेट गया. रोहित भी उस की बगल में लेट गया.

‘गुड बौय. अब छोटा सा बच्चा चड्डी में पेशाब कर देता है तो अंकल उस की चड्डी चेंज करेंगे,’ सहसा रोहित के हाथ नमन की चड्डी तक पहुंच गए और एक झटके में कमर से उतर कर उस की चड्डी घुटनों के नीचे तक पहुंच गई.

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