राजस्थान की कबड्डी की पहली इंटरनेशनल प्लेयर शालिनी पाठक जब कबड्डी खेलती थीं तो उन्हें भद्दे-भद्दे कौमेंट्स सुनने को मिलते थे. हाल ही में शालिनी ने अपने सफर के कई किस्से सुनाए. राजस्थान पुलिस में इंस्पेक्टर और कबड्डी प्लेयर शालिनी पाठक ने बताया कि जब उन्होंने कबड्डी खेलने का फैसला किया तो शुरुआत में पैरेंट्स ने सपोर्ट नहीं किया.

उन्होंने बताया, 'मैं राजस्थान की पहली कबड्डी इंटरनैशनल प्लेयर हूं. जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में हमने सिल्वर मेडल हासिल किया. मेरी सारी पहचान INDIA है, हम जो भी संघर्ष और मेहनत करते हैं, इसीलिए करते हैं कि इंडिया के लिए खेल सकें. मैं जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में इंडियन टीम का हिस्सा रही हूं जिसने सिल्वर मेडल जीता.'

उन्होंने बताया, 'मैंने एक ऐसे गेम को चुना था जिसे पुरुषों का गेम माना जाता है. कोई भी पैरेंट्स नहीं चाहेंगे कि उनकी लड़की कबड्डी जैसा गेम खेले. उनकी बेटी जब घर आए तो पूरी मिट्टी में सनी हुई आए, या कहीं से खून बह रहा हो. यह एक ऐसा खेल है जिसमें पसीने के साथ खून बहता है. मेरे पिता खुद कबड्डी के नैशनल प्लेयर रहे हैं. लेकिन मेरे पैरेंट्स ने शुरू में कोशिश की कि मैं कोई और सेफ गेम जैसे टेनिस वगैरह खेल लूं. लेकिन फिर मेरे पैरेंट्स को लगा कि मैं कबड्डी ही खेलना चाहती हूं तो फिर उन्होंने सपोर्ट किया और मैं यहां तक पहुंची.'

शालिनी ने कहा, स्पोर्ट्स में काफी वर्कआउट करना पड़ता है. मैं जब दौड़ती थी तो मेरे पिता बाइक से साथ में चलते थे. वह चाहते थे कि मैं स्पोर्ट्स में कुछ करूं. फील्ड में खेलने के दौरान मुझे लड़कों से बात करनी पड़ती थी और शार्ट्स में खेलती थी. शालिनी ने कहा, 'जब आप गांव में खेल रहे हैं तो आपको कान बंद कर लेने पड़ते हैं. गांव में ऐसी-ऐसी बातें लोग बोलते थे कि मैं बता नहीं सकती. खेलने के दौरान कोई बोलता था कि अरे चिकनी को पकड़ लो, इसको जाने मत दो लेकिन आपको ध्यान रखना होता है कि इन सब चीजों से आपका फोकस ना हट जाए.'

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